कश्मीर में सूखे की वजह से झेलम नदी में पानी का स्तर सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

Jammu News:  कश्मीर में लंबे समय तक सूखे के कारण झेलम नदी में पानी का स्तर सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। अधिकारियों ने रविवार को इसकी जानकारी दी।अधिकारियों ने कहा कि रविवार सुबह झेलम नदी संगम (अनंतनाग जिला) में -0.75 फीट और अशाम (बांदीपुरा जिला) में -0.86 फीट पर बह रही थी। ये नदी में सबसे कम जल स्तर है।उन्होंने कहा कि इससे पहले नवंबर 2017 में संगम पर पानी इसी स्तर तक गिर गया था।

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कश्मीर पिछले कई दिनों से बहुत कम बर्फबारी के साथ लंबे समय तक शुष्क दौर से गुजर रहा है।दिसंबर में बारिश में 79 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, जबकि जनवरी के पहले दो हफ्ते में घाटी के ज्यादातर हिस्सों में कोई बारिश नहीं हुई है।गुलमर्ग स्की रिसॉर्ट, जो मौसम के इस समय बर्फ से ढका रहता था, सूखा है।कश्मीर के मैदानी इलाकों में बर्फबारी नहीं हुई है, जबकि घाटी के ऊपरी इलाकों में सामान्य से कम मात्रा में बर्फबारी हुई है।शुष्क मौसम के कारण घाटी के पहाड़ी इलाकों से बड़ी संख्या में झाड़ियों में आग लगने की खबरें भी सामने आई हैं।वन विभाग ने लोगों के लिए एडवाइजरी भी जारी की है।

मुख्तार अहमद, डॉयरेक्टर, मौसम विभाग, श्रीनगर: ड्राई स्पेल बिल्कुल लगातार चल रहा है और लगभग अगस्त सितंबर बिल्कुल यहां पर ड्राई रहा और काफी ज्यादा आपका एक्सटेंडेड ड्राई स्पेल यहां पर चला है अगस्त तक। इसके बाद जो है हीटवेब जैसे कंडीशन सितंबर में यहां के लिए वास्तविक नहीं था। उसके बाद बारिशें खासकर अक्टूबर के महीने में एक दो स्पेल हुए जिसमें मंथ का आपका एवरेज पूरा हो गया। उसके बाद नवंबर में थोड़ी बारिशें और उस फर्स्ट दिसंबर को हल्की बारिशें और जम्मू पर लाइट स्नोफॉल हुआ तो ओवरऑल आपका जो डिफिसेट है तो अगस्त से ही चल रहा है।”

रशीद राहिल, इतिहासकार: झेलम की अपनी एक पहचान है और अपनी एक … है। कश्मीरी आवाम जो हमारे असलाफ थे वो इस झेलम को वितस्ता या वेथ के नाम से पुकारते थे। ये कश्मीर को दो हिस्सों में बांटती है और यही वो झेलम है जिसमें पानी आकर बहुत सारी खेतों तक पहुंचती है। लेकिन 50-55 वर्षों के दौरान हमने ऐसा माहौल कभी नहीं देखा कि ये नदी शुष्क हो रही है। इसको कुछ लोगों की गलती तो कुछ मौसमी तबदीली कहते हैं। लेकिन जो मैं मानता हूं कि इस नदी की रूहानी हैसियत है ये अगर शुष्क हो जाए तो कश्मीरी आवाम के लिए अच्छी बात नहीं है। ये वही नदी है जो 2014 में पानी इतना आ गया कि पूरी वादी को डुबो दिया। लिहाजा इसका सूखना सही नहीं है।”
) मिफ्ताह आलम, सीई सिंचाई के तकनीकी अधिकारी: हां, ये जरूर सच है कि लंबे समय तक सूखे के कारण बारिश और बर्फबारी नहीं हुई है और पानी का स्तर कम है। लेकिन आज तक, अगर हम पिछले साल के समान महीनों के आंकड़ों की तुलना करें, तो स्तर लगभग समान हैं। सूखे के कारण लोगों को परेशानी हो सकती है। हालांकि, हमें अभी सिंचाई का मौसम शुरू करना बाकी है और हमारे पास दो महीने यानी फरवरी और मार्च हैं, जिसमें हम बारिश की उम्मीद कर रहे हैं जिससे जल स्तर बढ़ सकता है। सिंचाई का मौसम अभी शुरू नहीं हुआ है, इसलिए सिंचाई पर सूखे का कोई सीधा प्रभाव नहीं है। चूंकि अभी तक बर्फ नहीं गिरी है, जो आमतौर पर मई और जून में पिघलती है और झेलम में पानी का स्तर बढ़ाती है, आज तक, झेलम का स्तर लगभग पिछले साल के समान ही है, हालांकि थोड़ा कम है।”

अब्दुल गनी, हाउसबोट मालिक: बोट जो हो इस बोट में जब पानी चालू होगा तब ये लकड़ी का एक किस्म का जिंदगी है पानी। जब एक ही लेवल का पानी रुका हुआ है तो आपको तो पता है फिर ये वोट दिन पर दिन खत्म होता जा रहा है। इंसान का भी पानी जिंदगी है। जब पानी नहीं होगा तब क्या होगा। ऐसा ही बोट का हाल है। ये रुका हुआ पानी है देखो कितना गंदगी है। पानी एकदम भी नहीं चलता है। मछली थी वो भी खत्म हो गई इसमें।”

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