मेवात। (रिपोर्ट – कासिम खान) हरियाणा के मेवात में एक ऐसा गांव भी है जहां के लोग देश की आजादी के बाद से अब तक पेयजल की सुविधा के अभाव में ही जीवन-यापन कर रहे हैं और उस गांव का नाम है जैवंत। वहां के ग्रामीणों को आज भी पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। वहां के लोग प्रतिमाह 6 लाख खर्च कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं।
आपको बता दें, देश की आजादी के बाद से कई सरकारें आईं और कई गईं, सभी ने विकास के दावे भी किए, लेकिन हरियाणा के नूंह जिले के पुन्हाना खंड के गांव जैवंत को अब भी पीने का पानी सुलभता से नसीब नहीं हो रहा है। जैवंतवासी प्रतिमाह 6 लाख खर्च कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। इसी महीने देश ने 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाया, लेकिन जैवंतवासियों को आजीदी के इतने सालों बाद भी पानी की किल्लत से आजादी नहीं मिल पाई है।
हरियाणा के अंतिम छोर एवं राजस्थान बॉर्डर पर बसा नूंह जिले के पुन्हाना खंड का गांव जैवंत विकास की दौड़ में पिछड़ रहा है। स्थानीय नेताओं व प्रशासन की अनदेखी के चलते आजादी के इतने सालों बाद भी जैवंत गांव में पेयजल की सुविधा नहीं पहुंच पाई है। वर्षों से पेयजल का संकट झेल रहे जैवंत गांव में अब हालात बद से बदतर हो रहे हैं। पानी के लिए ग्रामीणों को दर-दर भटकने के साथ पैसा खर्च कर भी अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। सरकार व प्रशासन की इस गांव की ओर अगर इसी प्रकार अनदेखी रही तो ग्रामीण पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे। करीब 6 हजार की आबादी वाले इस गांव में ग्रामीण प्रतिमाह 6 लाख खर्च कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। पेयजल सप्लाई की सुविधा न होने के चलते ग्रामीण 800 रुपए खर्च कर टैंकर मंगवाने को मजबूर हो रहे हैं। गरीब व मजदूर लोगों के लिए तो यह राशि जुटा पाना भी बड़ा ही मुश्किल हो रहा हैं। कई गरीब परिवारों को तो पानी पर राशि खर्च करने के बाद खाने तक के लाले पड़ रहे हैं। गांव में पेयजल सप्लाई की आस लगाए बैठे ग्रामीण लोग जवान से बूढ़े हो गए हैं, लेकिन आज तक उन्हें इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया है।
जैवंतवासी 35 हजार खर्च कर बनवा रहे हैं टैंक –
गांव में पानी की समस्या को देखते हुए ग्रामीण 35 हजार रुपए खर्च कर टैंक बनवा रहे हैं। ग्रामीणों ने अपने खर्चे से गांव में करीब 400 टैंक बनवाए हैं। गांव में पानी की सुविधा न होने के चलते 800 रुपए में पानी का टैंकर मंगवाकर लोग अपने टैंक में पानी एकत्रित कर इस प्रकार गुजारा कर रहे हैं। इस प्रकार की स्थिति के चलते ग्रामीणों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही हैं। जैवंत गांव अंतिम छोर पर बसा है शायद इसलिए पिछड़ रहा है। ग्रामीण तैयब, दाउद, सुबानी, रूपचंद, धर्मी, अब्बास, साजिद, राहुल, उसमान, जाकिर, अल्ली, अमीचंद, हारून, खालिद, जुनैद, जकरिया सहित अन्य लोगों का कहना है कि हमारा गांव अंतिम छोर पर बसा होने के चलते अनदेखी की जा रही है। सरकार की घर-घर पानी पहुंचाने की योजना का लाभ जैवंत गांव के लोगों को नहीं मिल रहा है। प्रशासन व विभाग के अधिकारियों का भी गांव की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं जा रहा है।