नई दिल्ली: (प्रदीप कुमार की रिपोर्ट)- एलएसी पर बने तनाव के बीच चीनी सेना की ओर से माइक्रोवेव हथियारों के इस्तेमाल के दावे को भारतीय सेना ने नकार दिया है। इसे लेकर पीआईबी की फैक्ट चेक इकाई ने कहा है कि मीडिया के कुछ हिस्सों में चल रही ऐसी खबरें फर्जी हैं।
पीआईबी ने यह भी कहा कि भारतीय सेना ने भी यह स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई है।
दरअसल कुछ खबरों के मुताबिक चीन के एक विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने दावा किया है कि चीनी सेना ने लद्दाख में भारतीय सेना के कब्जे वाली चोटियां खाली कराने के लिए उन पर माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल किया था। यह दावा चीन की रेनमिन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट डीन जिन केनरांग ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में किया।
सोशल मीडिया पर सामने आए इस सेमिनार के एक वीडियो में जिन केनरांग कह रहे हैं कि भारत की सेना ने दो चोटियों पर कब्जा कर लिया था। सामरिक दृष्टि से ये चोटियां अहम थीं। इसके कारण पश्चिमी थिएटर कमांड ने कैसे भी इन चोटियों को वापस लेने का आदेश दिया था। जिन ने कहा कि इसके साथ ही चीनी सेना को किसी भी स्थिति में फायरिंग न करने का आदेश भी दिया गया था। इस बीच हमारे सैनिक एक शानदार आइडिया लाए। उन्होंने माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल करते हुए चोटियों पर नीचे से हमला किया जिससे ऊपर माइक्रोवेव ओवन जैसी स्थिति बन गई। कई भारतीय सैनिक उलटियां करने लगे और ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। आखिरकार वे चोटियां छोड़ कर चले गए।
माइक्रोवेव, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरण का एक स्वरूप है। इसका उपयोग खाना बनाने और रडार सिस्टम में किया जाता है। वहीं, हथियार के तौर पर माइक्रोवेव शरीर के ऊतकों टिश्यू का तापमान बढ़ा सकते हैं और कानों के माध्यम से सिर के अंदर शॉकवेव झटका पैदा करता है। इस तकनीक को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए कई देशों में शोध चल रहा है। ये हथियार कम घातक माने जाते हैं और इनसे गंभीर चोट या मौत का खतरा नहीं होता है।
हालांकि भारतीय सेना ने इसे पूरी तरह नकार दिया है। इसे लेकर केंद्र सरकार की पीआईबी फैक्ट चेक इकाई ने कहा है कि ऐसी खबरें पूरी तरह फर्जी हैं। इससे पहले दोनों देशों की सेना लद्दाख सीमा पर फिंगर इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हुई हैं। सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। सीमा पर तनाव घटाने के लिए छह नवंबर को चुशुल में आयोजित दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता में पीछे हटने की इसे योजना पर चर्चा की गई थी। दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर के कुछ हिस्सों से पीछे हटने पर सहमति व्यक्त की है, जिसके तहत वे इस साल अप्रैल–मई वाले स्थानों पर वापस लौट जाएंगे।
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