गुजरात दंगे: बिलकिस बानो गैंग रेप के दोषियों की सज़ा रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

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दिल्ली (अवैस उस्मानी): 2002 के गुजरात दंगों के गर्भवती महिला बिलकिस बानो के रेप के के केस के दोषियों की रिहाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया सुप्रीम कोर्ट में 2 हफ्ते बाद मामले की सुनवाई होगी, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोषियों को भी पक्ष बनाने का निर्देश दिया। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली समेत 4 लोगों ने मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग किया है।

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दोषियों की रिहाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि गुजरात दंगों के दौरान 14 लोगों की हत्या और गर्भवती महिला से गैंगरेप के दोषियों को छोड़ दिया गया? हम चाहते हैं कि रिपोर्ट यहां मंगाई जाए और देखा जाए कि कमेटी ने कैसे रिहाई की सिफारिश किया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि सवाल यह है कि गुजरात के नियमों के तहत दोषी छूट के हकदार हैं या नहीं? मैंने कहीं पढ़ा है कि लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया था, लेकिन हमने केवल गुजरात को कानून के अनुसार आगे बढ़ने के लिए कहा था।

 

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सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ऋषि मल्होत्रा ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता तीसरा पक्ष हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सभी दोषियों को पक्षकार बनाने के निर्देश देना चाहिए, हिलहाल सुप्रीम कोर्ट बिलकिल बानों गैंग रेप मामले के 11 दोषियों की रिहाई का परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया है। 2002 के गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की बिलकिस अपने परिवार के 16 सदस्यों के साथ भाग कर पास के गांव छापरवाड के खेतों में छिप गई, 3 मार्च 2002 को 20 से अधिक दंगाइयों ने हमला बोल दिया, 5 महीने की गर्भवती बिलकिस समेत कुछ और महिलाओं का बलात्कार किया, बिलकिस की 3 साल की बेटी समेत 7 लोगों की हत्या कर दी।

बात दें बिलकिस बानों गैग रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा का ट्रायल महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया था, 21 जनवरी 2008 को मुंबई की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को उम्र कैद की सजा दी, 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा था। मामले के एक दोषी राधेश्याम शाह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 13 मई को माना था कि उसे 2008 में उम्र कैद की सजा मिली। इसलिए, 2014 में बने रिहाई से जुड़े सख्त नियम उस पर लागू नहीं होंगे। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को आधार बनाते हुए सभी 11 दोषियों की तरफ से रिहाई के आवेदन पर विचार किया और 14 साल से जेल मवन बंद 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।

 

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