Health Problem: ज्यादा प्रोसेस किए जाने वाले खाद्य पदार्थों, जैसे फ्राइज, चिप्स, बर्गर, कैंडी, सॉफ्ट ड्रिंक और आइसक्रीम, लोगों को शारीरिक और मानसिक बीमारियां दे रहे हैं। एक अध्ययन ने पाया कि ऐसे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन सोचने-समझने, पढ़ने, सीखने और याद रखने की क्षमता में कमी के साथ ही हीटस्ट्रोक के खतरे को भी बढ़ा सकती है।
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मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने न्यूरोलॉजी जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित किया है। अमेरिका में 45 वर्ष या उससे अधिक आयु के 30,239 लोगों पर यह अध्ययन किया गया है। करीब ग्यारह वर्षों तक इन पर निगरानी रखी गई। शोधकर्ताओं ने देखा कि उनका कितना भोजन बहुत अधिक प्रोसेस किया गया था। इन सभी लोगों में अध्ययन की शुरुआत में स्ट्रोक या सोचने-समझने तथा सीखने में कमी का कोई इतिहास नहीं था। अध्ययन के अंत तक 1,108 लोगों में स्ट्रोक की समस्या थी, जबकि 768 में संज्ञानात्मक हानि, यानी सोचने समझने की क्षमता में कमी थी।
अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स की लत लगभग 14% वयस्कों और 12% बच्चों को है। इन खाद्य पदार्थों के प्रति लोगों की रुचि लगभग शराब और तंबाकू की तरह बढ़ी है। याददाश्त से जुड़ी समस्याओं का खतरा 16% तक बढ़ा जब बहुत ज्यादा प्रोसेस किए गए खाद्य पदार्थों के सेवन में 10% का इजाफा हुआ। बिना प्रोसेस किए भोजन का सेवन करने से खतरा 12% कम हुआ। खाने से स्ट्रोक का खतरा आठ प्रतिशत बढ़ा, जबकि कम करने से नौ प्रतिशत कम हुआ। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को न केवल अपनी खाने की आदतों पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि अपनी स्वास्थ्यस्थिति पर भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। दिमाग को स्वस्थ रखने में इन खाद्य पदार्थों का सीमित सेवन मदद कर सकता है।
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डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि हर साल जरूरत से अधिक सोडियम (नमक) का सेवन करने से 30 लाख से अधिक लोग मर जाते हैं। इसके अलावा, रक्तचाप और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ रहा है। बता दें, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स वो होते हैं जो प्राकृतिक रूप से प्राप्त खाद्य उत्पादों को कई लेवल पर प्रोसेस किया जाता है जिससे वे कई दिनों तक खाने योग्य बने रहें या फिर डीप फ्राई करके उनकी कुदरती संरचना को बदल दिया जाता है। इनमें आमतौर पर अधिक चीनी, वसा, नमक और कम प्रोटीन और फाइबर होते हैं।
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