दिल का दौरा पड़ने पर मरीज की जान बचाने के लिए दिल्ली के अस्पताल ने की पहल

विश्व हृदय दिवस से पहले दिल्ली के एक निजी अस्पताल ने कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित लोगों की जान बचाने के लिए एक पहल की है।
मेडट्रॉनिक के साथ साझेदारी में, गंगाराम अस्पताल ने बुधवार को अचानक कार्डियक अरेस्ट होने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति की जान बचाने के लिए लोगों को जागरूक किया। इस अभियान को ‘रीसेट द बीट’ नाम दिया गया है।दिल का दौरा एक गंभीर स्थिति है, जो तब होती है जब हृदय की मांसपेशियों में खून का प्रवाह अचानक रूप से बंद हो जाता है और हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है।

एक समय ऐसा माना जाता था कि दिल का दौरा बुजुर्गों की बीमारी है। 40 वर्ष से कम उम्र के किसी व्यक्ति में दिल का दौरा पड़ना बेहद असामान्य हुआ करता था, लेकिन अब दिल का दौरा पड़ने वाले हर पांच में से एक मरीज़ 40 वर्ष से कम उम्र का है।भारत में हर औसतन 10 लाख लोगों का दिल का दौरा पड़ता है। साल 2000 और 2016 के बीच युवाओं को दिल का दौरा पड़ने की दर में हर साल दो प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

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कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अश्वनी मेहता ने बताया, “हम सभी को पता होना चाहिए कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) कैसे किया जाता है। ये सेंटर खुलने के बाद हम यहां सीपीआर करना सीख सकते हैं। हम आम जनता को भी सीपीआर सिखाना चाहते हैं। ताकि किसी को अचानक दिल का दौरा पड़ने पर उसे तत्काल मदद मिल सके।”

सीपीआर किसी व्यक्ति के खून के प्रवाह को तब तक चालू रखने में मदद करता है, जब तक मेडिकल टीम उनकी मदद के लिए न पहुंच जाए। जब कोई व्यक्ति किसी के दिल की धड़कन बंद होने के तुरंत बाद सीपीआर शुरू करता है, तो सीपीआर उसके जीवित रहने की संभावना को दोगुना या तिगुना कर सकता है।विश्व हृदय दिवस 29 सितंबर को मनाया जाता है और इस साल की थीम ‘यूज हर्ट, नो हर्ट’ है।

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