Fast Food: भारत में अस्वास्थ्यकर खानपान के कारण 56.4 प्रतिशत बीमारियां होती हैं। यह खुलासा आईसीएमआर की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेहतमंद रहने के लिए एक व्यक्ति को दिन में 1,200 ग्राम भोजन चाहिए, जो 2,000 कैलोरी देता है। 100 ग्राम फल, 400 ग्राम हरी सब्जी, 300 ग्राम दूध या दही, 85 ग्राम दाल या अंडा, 35 ग्राम मेवा-बीज और 250 ग्राम अनाज एक थाली में काफी है।
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दिन में 27 ग्राम से अधिक चिकनाई लेना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। दिन में कम से कम 70 ग्राम मीट या चिकन खाना पर्याप्त है अगर आप मांसाहारी खाना खाते हैं। आईसीएमआर ने बुधवार को 17 आहार दिशानिर्देशों की घोषणा की। आईसीएमआर के अनुसार पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लेने से 80 प्रतिशत तक मधुमेह, टाइप-2 रक्तचाप और दिल की बीमारियां सहित गैर संचारी रोगों का खतरा कम हो सकता है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने देश भर के लोगों से इन दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अपने और परिवार के भोजन में सुधार करने की अपील की है।
छह से आठ महीने के शिशु को हर दिन 650 कैलोरी की आवश्यकता होती है। शिशु को चार बार स्तनपान करने पर 500 कैलोरी ही मिलेगी। इसलिए सुबह या दोपहर में दाल चावल, दोपहर में केला या उबला सेब और शाम में थोड़ी खिचड़ी खानी चाहिए। नौ से बारह महीने के बच्चे को हर दिन 720 कैलोरी चाहिए। स्तनपान करने के अलावा दाल, चावल, खिचड़ी और फल भी खाना चाहिए। जर्नल फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन में जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया और पीजीआई चंडीगढ़ ने पाया कि अधिकांश लोगों की थाली में कम पोटैशियम और अधिक नमक है।
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महिला को गर्भावस्था के दौरान सुबह छह बजे 150 एमएल (करीब 110 कैलोरी) दूध पीना चाहिए। सुबह आठ बजे नाश्ता करने के लिए 60 ग्राम साबुत अनाज, 75 ग्राम सब्जी, 20 ग्राम दाल, 20 ग्राम मेवा और पांच ग्राम तेल चाहिए। दोपहर एक बजे चावल या फुल्का 100 ग्राम, दाल 30 ग्राम, दही और फल खाना चाहिए। चार बजे मेवा और पच्चीस मिली दूध पर्याप्त है। आठ बजे रात को खाने के लिए 60 ग्राम चावल या फुल्का, 25 ग्राम लाल चना या चना, 10 ग्राम तेल और 50 ग्राम फल चाहिए। यह दिनचर्या अपनाने से स्वस्थ शिशु जन्मने की संभावना बहुत अधिक है।
संतृप्त फैटी एसिड (एसएफए), मोनो असंतृप्त फैटी एसिड (एमयूएफए) और पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड (पीयूएफए) तीन अलग-अलग प्रकार के फैटी एसिड हैं जो हमारे आहार में मिलते हैं। संतृप्त वसा (एसएफ) का अधिक सेवन कैलोरी की मात्रा को बढ़ाता है और इससे हृदय रोग या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, ट्रांस वसा (टीएफ) से दूर रहना चाहिए क्योंकि वे हानिकारक हैं। संतृप्त फैटी एसिड (एसएफए) की मात्रा सरसों के तेल में सबसे कम होती है, जबकि पाम ऑयल, नारियल तेल और घी में सबसे अधिक होती है।
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