प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – भारत और चीन ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में 22 महीने से जारी गतिरोध को हल करने के लिए 15वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता की है। 11 मार्च शुक्रवार को दोनों देशों के मिलिट्री कमांडर्स ने पूर्वी लद्दाख के चुशूल में सैन्य वार्ता की है। भारत के सैन्य सूत्रों के मुताबिक सीमा विवाद को सुलझानें के लिए हाल में दोनों देशों के जो बयान सामने आए हैं वे ‘सकारात्मक और उत्साहजनक’ हैं।
जानकारी के मुताबिक 15 वे दौर की कोर-कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय हिस्से में चुशुल-मोल्दो ‘बार्डर प्वाइंट’ पर शुक्रवार सुबह 10 बजे शुरू हुई थी जो करीब 13 घँटे चली। जानकारी के मुताबिक भारतीय पक्ष ने ‘देपसांग बल्ज’ और डेमचोक में मुद्दों को हल करने समेत टकराव वाले शेष स्थानों पर जल्द से जल्द सेना को हटाने पर जोर दिया है।
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वार्ता के दौरान हॉट स्प्रिंग्स पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के नवनियुक्त कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया है। इससे पहले भारत और चीन के बीच 14वें दौर की बातचीत 12 जनवरी को हुई थी लेकिन इसमें टकराव वाले शेष स्थानों पर गतिरोध का हल करने में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई थी।
पिछले करीब 22 महीनों से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएएसी) पर विवाद चल रहा है।दोनों देशों के बीच अभी भी डेपसांग प्लेन और डेमचोक जैसे इलाके हैं, जहां विवाद जारी है। यह वार्ता ऐसे वक्त हुई है जब यूक्रेन युद्ध के चलते जब करीब पूरी दुनिया रूस के खिलाफ खड़ी हो गई है तो भारत और चीन दोनों ही रूस के साथ खड़े हुए दिख रहे हैं।चीन खुलकर रूस के साथ खड़ा है तो वहीं भारत कूटनीतिक और रणनीतिक तौर पर रूस के साथ दिख रहा है। सैन्य सूत्रों ने दोनों देशों के बीच 15 वे दौर की वार्ता को सकारात्मक और उत्साहजनक बताया है।
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