(प्रदीप कुमार): भारत और रूस अपने कूटनीतिक संबंधों को लगातार मजबूत कर रहे है। इसी कड़ी में अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस का दौरा करने वाले हैं।साथ ही चर्चाये है कि अगर पुतिन इंडोनिशिया बाली में G20 सम्मिट में शामिल हुए तो पीएम मोदी से मुलाक़ात हो सकती है।
पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नवंबर मध्य में एक बार फिर से मुलाकात हो सकती है। इंडोनेशिया के बाली में 15-16 नवंबर को आयोजित हो रहे जी-20 समिट में दोनों नेता मिल सकते हैं। इससे पहले सितंबर में उज्बेकिस्तान में हुई एससीओ समिट के दौरान पीएम मोदी और पुतिन की मुलाक़ात हुई थी।
हालांकि पश्चिमी देशों की ओर से कहां जा रहा है कि जी-20 सम्मेलन में पुतिन की मौजूदगी से अजीब राजनियिक असहजता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।G20 ग्रुप में पश्चिमी देश भी शामिल है। ऐसे में अभी तक यह औपचारिक तौर पर स्पष्ट होना बाकी है कि क्या पुतिन इंडोनेशिया बाली में इस सम्मेलन में व्यक्तिगत तौर पर शिरकत करेंगे या नहीं।
भारत और रूस लगातार अपने रिश्ते मजबूत करते रहे है।कोरोना के बाद से पुतिन ने विदेश यात्रा कम ही की हैं, लेकिन बीते साल पुतिन सालाना समिट में शामिल होने के लिए भारत आए थे।
इसके अलावा विदेश मंत्री लावरोव भी इसी साल अप्रैल में भारत आए थे। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद रूसी विदेश मंत्री लावरोव का यह दौरा अहम था क्योंकि दुनिया के कई देश भारत से अपील कर रहे थे कि वह इस मामले में दखल दे और रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में मतदान करे।
हालांकि अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों के ऐतराज के बाद भी रूस के साथ भारत अपने संबंधों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। इसी कड़ी में अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस का दौरा करने वाले हैं।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर 8 नवंबर को रूस जाएंगे, जहां वे अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने मॉस्को में कहा है कि अगले महीने लावरोव की जयशंकर से मुलाकात होने वाली है। इस दौरान दोनों नेता रूस और भारत के संबंधों के अलावा इंटरनेशनल एजेंडा पर भी बात करेंगे। हालांकि ने विस्तार यह नहीं बताया गया कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच किन मुद्दों पर बातचीत होगी।
दरअसल यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की ओर से रूस की कोई तीखी आलोचना नहीं की गई है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्थाओं में वोटिंग के दौरान भी भारत ने दूरी ही बनाई है। इसे अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने भारत की ओर से रूस के समर्थन के तौर पर देखा है।इस बीच भारत ने रूस से बड़े पैमाने पर सस्ते तेल की खरीद भी की है, जबकि अमेरिका और यूरोप ने इस पर ऐतराज भी जाहिर किया था।हालांकि भारत ने दोटूक कहा था कि हम अपने देश के हित के अनुसार ही फैसला लेंगे।