India Smart Cities Award: स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता में इंदौर पहले नंबर पर, दूसरे-तीसरे स्थान पर सूरत और आगरा ने किया कब्जा

National Smart City Award:इंदौर ने लगातार छह साल ‘सबसे स्वच्छ शहर’ का खिताब जीतने के बाद, अब सर्वश्रेष्ठ “नेशनल स्मार्ट सिटी पुरस्कार” भी जीत लिया है। इंदौर के बाद दूसरे नंबर पर सूरत और तीसरे नंबर पर आगरा रहा।केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को 2022 के भारत के स्मार्ट सिटी पुरस्कारों की घोषणा की थी।इंदौर ने स्वच्छता, अर्थव्यवस्था,शहरी पर्यावरण, निर्मित पर्यावरण, जल और कोविड के दौरान बेहतर इंतजाम कुल छह श्रेणियों में शानदार प्रदर्शन कर खिताब जीता

शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री,मध्य प्रदेश देश में नंबर एक है।स्वच्छता में नंबर एक,जल संरक्षण में नंबर एक। इंदौर तो वायु गुणवत्ता में भी नंबर एक है। अपना इंदौर स्वच्छतम शहर तो है ही लेकिन देश में भी इंदौर नंबर एक है।स्मार्ट सिटी को कुल 12 श्रेणियों में से छह श्रेणियों में पुरस्कार मिला है। इसमें निर्मित पर्यावरण, स्वच्छता, जल, अर्थव्यवस्था और शहरी विकास, इन सारे क्षेत्रों में हमें पुरस्कार मिला है। एक साल के पूरे कार्यकाल में जो स्मार्ट सिटी ने काम किया है उसका आकलन किया गया और उसके बाद हमें पुरस्कार मिला। कुल मिलाकर इंदौर को सर्वश्रेष्ठ स्मार्ट सिटी का भी पुरस्कार मिला है।स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इंदौर में 1200 करोड़ रुपये के विकास कार्य पूरे किए जा चुके हैं।

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दिव्यांक सिंह,सीईओ, इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड अगर शहर स्वच्छ है,अगर शहर साफ है और वहां पर निकलने वाले कचरे का ठीक से निस्तारण किया जाए तो किस तरह से एक शहर गंदगी से मुक्त होकर एक सर्कुलर इकोनॉमी का अच्छा मॉडल बन सकता है, उसका उदाहरण इंदौर ने पेश किया है। इंदौर के अधिकारी इस उपलब्धि का पूरा श्रेय जनभागीदारी को देते हैं।जो अधिकारी इस पर काम कर रहे थे, लेकिन इन सबके ऊपर प्रदेश की राजनीतिक इच्छा शक्ति, चाहे मुख्यमंत्री का काम करना हो या जन प्रतिनिधियों का जनता के साथ मिलकर काम करना हो, उन सबको मिलाकर इंदौर स्मार्ट सिटी बना है। साफ सफाई और स्मार्ट सिटी के अलावा इंदौर मध्य प्रदेश ही नहीं देश का बड़ा उद्योग केंद्र भी है। इसी वजह से इंदौर को मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी भी कहा जाता है। ज़फर अंसारी, इतिहासकार

दिल्ली को दक्कन से जोड़ने वाला मार्ग इंदौर से होकर जाता था। इसका पूरा लाभ उठाने के लिए इंदौर ने मुगलों को पत्र लिखा और तीन मार्च 1716 को इंदौर शहर को अनुदान मिला कि यहां एक बस्ती बनाई जा सकती है जिसे नयापुरा के नाम से जाना जाता है। बाद में इसे बदलकर नंदलालपुरा कर दिया गया।इंदौर नगर निगम का “गोबर-धन” संयंत्र गीले कचरे से जैव सीएनजी उत्पन्न करने वाले एशिया के सबसे बड़े संयंत्रों में से एक है।इंदौर ने स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 में भी शीर्ष स्थान हासिल किया है। 25 जून 2015 को लॉन्च किए गए ‘स्मार्ट सिटीज मिशन’ का उद्देश्य “स्मार्ट समाधान” के माध्यम से नागरिकों के लिए बेहतर से बेहतर इंतजाम करना है जिससे आम जनता को सहूलियत मिल सके।

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