अहमदाबाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के निदेशक नीलेश देसाई ने शनिवार को कहा कि भारत पांच साल तक बिना किसी परेशानी के सूर्य की स्टडी करता रहेगा क्योंकि आदित्य-एल1 हेलो ऑर्बिट में पहुंच चुका है।नीलेश देसाई ने पीटीआई वीडियो को बताया कि भारत सूर्य की स्टडी जारी रखने के लिए सन ऑब्जर्वेटरी रखने वाला चौथा देश बन गया है।इसरो ने शनिवार को सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय ऑब्जर्वेटरी, आदित्य-एल1 को अपने डेस्टीनेशन ऑर्बिट लैग्रेंज प्वाइंट-1 में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को इस नई उपब्धि के लिए बधाई दी।इसरो ने कहा कि एल-1 प्वाइंट के चारों तरफ हेलो ऑर्बिट में एक सैटेलाइट को सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखने का बड़ा फायदा है।एक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने दो सितंबर, 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान लॉन्च किया।63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद इसे सफलतापूर्वक पृथ्वी के चारों तरफ 235×19500 किलोमीटर के इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया गया। इसके बाद ये सूर्य-पृथ्वी एल वन की तरफ बढ़ गया।आदित्य-एल वन का मिशन जीवन पांच साल का है। इस जगह पर अंतरिक्ष यान लंबे समय तक काम करने के लिए जाने जाते हैं क्योंकि इन्हें ऑर्बिट में बनाए रखने के लिए कम ईंधन की जरूरत होती है।
नीलेश देसाई, निदेशक, इसरो, अहमदाबाद: ऑपरेशन 220 सेकंड तक जारी रहा और फिर हेलो ऑर्बिट में एंट्री पूरी हो गई। भारत इसमें सफल रहा और ये भविष्य में सूर्य का अध्ययन जारी रखने के लिए सन ऑब्जर्वेटरी रखने वाला चौथा देश बन गया। हमें पांच साल तक सूर्य के बारे में बिना किसी परेशानी के जानकारी मिलती रहेगी।”