झारखंड सरकार द्वारा ‘श्री सम्मेद शिखरजी’ को पर्यटक स्थल घोषित करने के निर्णय के ख़िलाफ़ 25 दिसम्बर 2022 से अनशन कर रहे जैन मुनि सुज्ञेय सागर महाराज का आज सांगानेर स्थित जैन मंदिर में प्रात: स्वर्गवास हो गया। मंगलवार दोपहर को उनको श्रमण संस्कृति संस्थान में समाधि दी गयी। झारखण्ड में स्थित श्री सम्मेद शिखरजी पर्वत को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने के विरोध में वो अनशन कर रहे थे। जिसके बाद आज मंगलवार को उन्होंने देह त्याग दिया।
बता दें की जैन धर्म के सम्मेद शिखर को पवित्र स्थल मानते है लेकिन पर्यटन स्थल घोषित किये जाने के बाद जैन समाज में खासा नाराजगी देखने को मिल रही थी जिसके बाद से ही देश भर में जैन समाज के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। 72 वर्षीय जैन मुनि गत 10 दिनों से अनशन पर बैठे हुए थे।
इसके बाद अब मुनि समर्थ सागर भी अन्न का त्याग कर तीर्थ को बचाने के लिए पहल को जारी रखेंगे। वहीं जैन समुदाय देशभर के अलग-अलग जगहों पर सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन किये जा रहे हैं। इसी क्रम में आज राजधानी रांची के जैन समुदाय के सैकड़ों लोगों ने मौन जुलूस निकाला। और राजयपाल को ज्ञान सौंपा गया। जैन धर्म के लोगों का कहना है की सम्मेद शिखर जी (पारसनाथ) जैन धर्मावलंबियों का सबसे पवित्र पावन तीर्थक्षेत्र है। इस पर्वत से जैन धर्म के 24 में 20 तीर्थकरों एवं अगणित मुनिराजों ने आत्मसाधना करते हुए निर्वाण प्राप्त किया है। इस पर्वतराज पर प्रतिवर्ष दुनियाभर से लाखों तीर्थयात्री गहरी आस्था के साथ आते हैं। यहां का कण-कण हमारे लिए पवित्र एवं पूजनीय है।
राज्य सरकार द्वारा इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित किया जाना अहिंसामयी सिद्ध क्षेत्र की गरिमा के प्रतिकूल है। इससे दुनियाभर के जैन समाज की भावना बुरी तरह आहत हुई है। पर्यटन क्षेत्र होने से पर्वत की पवित्रता प्रभावित हुई है। पर्यटक पर्वत पर मांस मदिरा का सेवन करने लगे हैं। शराब आदि का प्रयोग धड़ल्ले से होने लगा है जो जैन धर्म के सिद्धांतों के पूर्णतः खिलाफ है।
Read also:- आबकारी नीति घोटाला: पांच अन्य आरोपियों को कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिली
हाल ही में केंद्र और झारखंड सरकार की ओर से जारी किया गया एक नोटिस है। इसमें सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने की बात कही गई है। जिसका जैन समाज के लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है।