Joshimath News: जोशीमठ के 603 भवनों में दरार आ चुकी है डेंजर जोन को चिन्हित कर दिया गया है। वहीं एसडीआरफ की टीम कुछ गांवों को खाली कराने के अभियान पर जुट गयी है तो वही कुछ गांवों के लोग स्थिति को देखते हुए खुद अपना सामान समेट लिया है। जोशीमठ से आ रही तस्वीरें भावुक कर देने वाली है। आँखों में आंसू लिए अपने सामान को समेटे हुए भरी यादों के साथ लोग यहां से जाने को मजबूर है। वहीं सरकार ने आदेश दिया है की लोगों को जिस स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है, वहां पेयजल आदि की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
वहीं सीएम धामी के निर्देश पर जोशीमठ भेजे गए सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुंदरम ने जिलाधिकारी हिमांशु खुराना को दो दिन में नगर के भवनों और उसमें रहने वाले लोगों के बारे में आंकड़े जुटाने के निर्देश दिए हैं। वहीं जलशक्ति मंत्रालय की हाईपावर कमेटी जोशीमठ पहुंच गई है। ज़िलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा है की हमने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कुछ वार्ड की पहचान कर उस पर निशान लगाया है और उनको रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया है। इन वार्ड में प्रवेश भी निषेध रहेगा।
वही इस मामले पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा है की किसी भी समय सारा ढांचा ढह सकता है। जोशीमठ को दूसरी जगह बसाया और नया जोशीमठ बनाया जाना चाहिए। जोशीमठ के कारणों को पता लगाया जाए और इसे राष्ट्रीय आपदा के रूप में लेकर इसको बनाया जाना चाहिए। प्रभावित परिवारों को बद्रीनाथ के तर्ज़ पर मुआवजा दिया जाए।
शनिवार को जोशीमठ से अध्ययन कर लौटी टीम ने वहां के दरार आ चुके भवनों को जल्द से जल्द गिराने की सिफारिश की है। ऐसे में सरकार ने ऐसे भवनों को गिराने का निर्णय लिया है। हालांकि ऐसे मामलो पर निर्णय लेने से पहले और भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। बता दें की जोशीमठ के 603 भवनों में दरार आ चुकी है और प्रशासन ने इन सबका मुआयना भी कर लिया है और 67 परिवारों में अस्थायी स्थानों पर शिफ्ट भी कर दिया गया है।
वहीं आपदा सचिव ने कहा कि राहत और बचाव के कार्यो के साथ-साथ जांच सर्वे के कार्य भी तेज किया जाएगा, जिसमे विस्थापन को लेकर एसीएस वित्त की अध्यक्षयता में कमेठी गठित की जाएगी। इसके साथ मुख्य सचिव रोजाना आपदा के राहत और बचाव के कार्यो की समीक्षा करेंगे। आपदा सचिव ने कहा की आईआईटी रुड़की जियोटेक्निकल स्टडी करेगी, वाडिया इंस्टीट्यूट से सिस्मिक टेस्ट करेगा, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी हाइड्रोलॉजिकल टेस्ट करेगा और इसकी रिपोर्ट भी एक माह के भीतर देनी होगी।
विशेषज्ञों आदि को ये भी निर्देश दिया गया है की प्रभावित क्षेत्र में पहुंचने में समय न लगे इसके लिए चॉपर से पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। भू-धंसाव बढ़ने और विद्युत लाइनों से प्रभावित क्षेत्र में जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए लगातार क्षेत्र पर नजर बनाए रखते हुए उच्चाधिकारियों को भी क्षेत्र में बने रहने के निर्देश दिए।
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वहीं जोशीमठ के डेंजर जोन को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
डेंजर: ऐसे भवन जो बहुत ज्यादा जर्जर हैं और पूरी तरह से असुरक्षित हैं।
बफर: ऐसे भवन जिनमें हल्की दरारें हैं लेकिन उनके बढ़ने का खतरा है।
सेफ: ऐसे भवन जहां कोई दरार नहीं आई है और रहने के लिए सुरक्षित हैं।