Karnataka: कर्नाटक (Karnataka) के धर्मस्थल कस्बे में विभिन्न जगहों पर शवों को सामूहिक रूप से दफनाए जाने के आरोपों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने भू-भेदी रडार (जीपीआर) की मदद से स्थलीय निरीक्षण शुरू कर दिया।
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अधिकारियों ने बताया कि एसआईटी सोमवार 11 अगस्त को जीपीआर विशेषज्ञों के साथ मामले में शिकायतकर्ता की ओर से चिह्नित 13वें स्थल पर पहुंची, जो नेत्रवती स्नान घाट के पास स्थित है। उन्होंने बताया कि यह कवायद जांचकर्ताओं के समक्ष दिए गए बयानों में किए गए दावों की पुष्टि करने के प्रयासों का हिस्सा है। अधिकारियों के मुताबिक, जीपीआर सर्वेक्षण जांच की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आगे की कार्रवाई इसके निष्कर्षों पर निर्भर करेगी। Karnataka
भू-भेदी रडार एक विद्युत-चुंबकीय तकनीक है, जो भूमिगत संरचनाओं की जांच करने के लिए विशिष्ट आवृत्ति पर रेडियो तरंग स्पंदों को जमीन की गहराई में भेजती है। कर्नाटक सरकार ने धर्मस्थल में सामूहिक हत्या, यौन उत्पीड़न और शवों को सामूहिक रूप से दफनाए जाने के गंभीर आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है, जो कथित तौर पर दो दशकों से अधिक समय से जारी था। शिकायतकर्ता एक पूर्व सफाई कर्मचारी है, जिसकी पहचान उजागर नहीं की गई है। Karnataka
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उसने दावा किया है कि वह 1995 से 2014 के बीच धर्मस्थल में कार्यरत था और इस दौरान उसे कई शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया, जिनमें महिलाओं और नाबालिगों के शव भी शामिल थे। उसका आरोप है कि कुछ शवों पर यौन उत्पीड़न के निशान थे। उसने अपने दावों के संबंध में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराए हैं। धर्मस्थल में अभी तक शिकायतकर्ता की ओर से बताई गई दो जगहों पर कई मानव अवशेष बरामद हुए हैं।