मुंबई वन विभाग के पास 16 जनवरी को एक फोन आया। फोन एक डेयरी कर्मचारी ने किया था। उसने आरे जंगल में कुएं में तेंदुए के तीन बच्चों को देखा था।खबर मिलने पर वन विभाग के अधिकारी फौरन वहां पहुंचे। लेकिन शावकों को तुरंत कुएं से निकालने से परहेज किया।
अधिकारियों ने बताया कि इंसानों के संपर्क में आने से कभी-कभी मां अपने शावकों को छोड़ देती है।दो दिन मां तेंदुआ का इंतजार करने के बाद वन विभाग ने भूखे और डरे हुए शावकों को कुएं से बाहर निकाला और रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया।
हालांकि उन्होंने शावकों के मां की तलाश नहीं छोड़ी।अधिकारियों ने बताया कि जहां से शावकों को बचाया गया था, वहां से आठ किलोमीटर के दायरे में 15 कैमरे लगाए गए हैं।उन्हें उम्मीद है कि मां तेंदुए को तलाश लिया जाएगा और तीनों शावक अपनी मां के साथ जंगल लौट जाएंगे।
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संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान पशु चिकित्सक डॉक्टर विनय जंगले ने कहा कि हम लोगों को भी अच्छा नहीं लगता है कि कोई भी लेपर्ड के इतने छोटे बच्चे आके आए। और पूरा जिंदगी वो रेस्क्यू सेंटर में निकाले। उसके बजाय अगर वो खुले में जाए, जंगल में जाए, वो आनंद बहुत अलग ही आनंद रहता है। इसलिए हम लोग अभी भी मतलब पूरे ट्राई कर रहे हैं कि स्कैट पे एट लीस्ट अगर कोई मदर आए, लैक्टेटिंग मदर आएगी तो फिर से हम उनको हम आशा रखते हैं कि मदर के पास यूनियन उनका हो जाए।