प्रदीप कुमार – शिक्षकों और छात्रों को संबोधित करते हुए, ओम बिरला ने कहा कि शिक्षा एक अनवरत प्रक्रिया है जो लगातार बौद्धिक विस्तार का रास्ता दिखाती है। उन्होंने प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा कि नवीन सोच और नवाचारों के के बल पर युवा आत्मनिर्भर भारत के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। स्पीकर बिरला ने जोर देकर कहा कि सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक परिवर्तन लाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि आजादी के 75 साल में देश में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में युवा सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और एक नए भारत के निर्माण में मदद करेंगे। उन्होंने सलाह दी कि कि इस अमृत काल में हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न के अनुसार स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होने पर भारत एक विकसित देश के रूप में दुनिया का नेतृत्व करेगा।
ओम बिरला ने सुझाव दिया कि युवाओं को प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान और संस्कृति का अनुसरण करते हुए आधुनिक विचारों को अपनाना चाहिए। स्पीकर बिरला ने कहा कि भारतीय युवाओं की बौद्धिक क्षमता तथा उनके वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान के कारण, पूरी दुनिया उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय है और भारत इससे उठने वाली समस्याओं से निपटने में दुनिया का मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारतीय युवा इस संकल्प को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
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इस अवसर पर, ओम बिरला ने युवाओं को विधायी-राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होने की सलाह भी दी क्योंकि लोकतंत्र लोगों की भागीदारी और सभी के सहयोग से बनता है। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी से कानूनों और नीतियों में सुधार होता है, जिससे बेहतर शासन और नीतियां बनती हैं। बहस और चर्चा को लोकतंत्र का एक अभिन्न अंग बताते हुए स्पीकर बिरला ने कहा कि सक्रिय विचार-विमर्श से समाज की बेहतरी होती है और यह युवाओं पर निर्भर है कि समाज कल्याण के लिए प्रभावी समाधान खोजें जिससे एक नए भारत का उदय हो। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने इनपुट, शोध, नवाचार और विचारों को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ साझा करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लोकतांत्रिक संस्थानों में उनकी बात रखी जाए।
ओम बिरला ने संतोष व्यक्त किया कि विधायी निकाय औपनिवेशिक कानूनों और विरासतों को बदलने और लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप नए कानूनों को बदलने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
युवाओं को हर चुनौती का समाधान खोजने में दुनिया का नेतृत्व करने का आह्वान करते हुए स्पीकर बिरला ने कहा कि विश्व की आशाएं उन पर टिकी हैं क्योंकि उनमें न केवल अपने उद्देश्यों को पूरा करने का माद्दा है बल्कि कड़ी मेहनत और नवाचार के माध्यम से दुनिया भर में बड़े पैमाने पर आशाओं और सपनों को साकार करने के लिए अथक परिश्रम करने की क्षमता भी है।
ओम बिरला ने लोक सभा सांसद और एसआरएम विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. टी.आर. पारिवेन्धर को एक विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थान की स्थापना करने के लिए धन्यवाद् दिया। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई दी और विश्वविद्यालय के स्वच्छ और हरित परिसर की सराहना की।