लोकसभा अध्यक्ष ने राजस्थान विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को किया संबोधित

( प्रदीप कुमार ), जयपुर: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को जयपुर में राजस्थान विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्य मंत्री भजन लाल शर्मा, राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, राजस्थान सरकार के मंत्री, विधायकगण और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, बिरला ने कहा कि सदस्यों के लिए सदन में आचरण के उच्चतम मापदंड स्थापित करना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र में नीतियों और मुद्दों पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन ऐसी असहमति सदन की गरिमा और मर्यादा के दायरे में रहकर व्यक्त की जानी चाहिए।

ओम बिरला ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा यह अभिभाषण हमारी संसदीय व्यवस्था में महत्वपूर्ण मौका होता है जिसका सभी को सम्मान करना चाहिए। बिरला ने कहा कि प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह सदन के माध्यम से लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में अपना योगदान दे। इसके साथ ही उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे सदन में अपना पूरा समय दें और वरिष्ठ नेताओं और सदस्यों के भाषण सुनें और उनसे सीखें। उन्होंने कहा कि सदस्य जितना अधिक समय सदन में बैठेगा, उसे उतना अधिक अनुभव प्राप्त होगा और वह पूरे राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से अवगत होगा। अध्यक्ष महोदय ने यह भी कहा कि दूसरों से सीखने से उनका दृष्टिकोण व्यापक होगा और वे अपनी बात अधिक प्रभावी ढंग से रख पाएंगे। ओम बिरला ने सदस्यों को कानूनो और बजट पर पुराने वाद-विवाद, कानूनों और नियमों को पढ़ने का सुझाव भी दिया, जिससे उन्हें बेहतर विधायक बनने में मदद मिलेगी।ओम बिरला ने आगे कहा कि सदस्य जितना अधिक अध्ययन करेगा, उसकी चर्चा उतनी ही सारगर्भित होगी और उतने ही बेहतर कानून बनेंगे।

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जन प्रतिनिधि के रूप में सदस्यों की भूमिका पर बात करते हुए ओम बिरला ने कहा कि विधान सभा के सदस्य के रूप में उनका दायित्व उन लोगों की आशाओं, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना है जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। जन प्रतिनिधियों के रूप में, सदस्यों को अपने क्षेत्र में जमीनी स्तर के निर्वाचित संगठनों के साथ नियमित रूप से संवाद करना चाहिए, विकास गतिविधियों में भाग लेना चाहिए और उनके मुद्दों को सदन में उठाना चाहिए। जितने अधिक मुद्दों को वे उठाएंगे, उतना अधिक लोगों को लाभ होगा क्योंकि लोगों से जुड़े मुद्दे उठाकर वे उन्हें सरकार के ध्यान में ला सकते हैं। बिरला ने कहा कि इससे देश में तीनों स्तरों पर लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होगी।

सदस्यों को प्रौद्योगिकी का सदुपयोग करने का सुझाव देते हुए,ओम बिरला ने सुझाव दिया कि उन्हे टेकनोलॉजी फ्रेंडली होना चाहिए और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने के लिए प्रौद्योगिकी को एक प्रभावी माध्यम के रूप में अपनाना चाहिए। प्रौद्योगिकी से सदस्यों को अपने क्षेत्र के लोगों के साथ अधिक सहजता से जुड़ने और विधायकों और जन प्रतिनिधियों के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन सुगमता से करने में मदद मिलेगी। इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन विधान सभा के लगभग 200 सदस्यों के लिए किया गया था, जिसमें राजस्थान विधान सभा में पहली बार 74 निर्वाचित सदस्य भी शामिल थे।

इस कार्यक्रम के दौरान, वरिष्ठ विधायकों और विषय विशेषज्ञों ने अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की, जैसे ‘संसदीय शिष्टाचार और आचरण’, संसद/विधानमंडलों में बजटीय प्रक्रियाएं और वित्तीय कार्य’, ‘संसदीय विशेषाधिकार और आचार;, ‘प्रश्न काल, अल्पकालीन चर्चा, स्थगन प्रस्ताव, ध्यानाकर्षण, अविलंबनीय लोक महत्व की सूचनाओं का महत्व और उपयोग, और ‘संसदीय व्यवस्था में समितियों की भूमिका और कार्यप्रणाली’।

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