पलवल से जुड़ा है गांधी जी का पुराना नाता

Mahatma Gandhi- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की आजादी की लड़ाई में संघर्षमय सफर के गवाह पलवल जिले के लोग भी बने थे पलवल से बहुत पुराना इतिहास जुडा हुआ है बताया जाता है की महात्मा गाँधी जी 1919 में मुंबई से चल कर जलियावाला बाग जा रहें थे तब पलवल का हिस्सा जॉइंट पंजाब में आता था ज़ब जा रहें थे तो पलवल रेलवे स्टेशन पर ब्रिटिश शासन ने उन्हें वारंट दिखाया जिसे महात्मा गाँधी ने लेने से मना कर दिया जिससे बाद उन्हे पलवल के रेलवे स्टेशन पर 10 अप्रेल 1919 को गिरफ्तार कर के स्टेशन से नीचे उतार दिया गया और अरेस्ट कर लिया गया और उन्हें वापस मुंबई भेज दिया गया
आज भी उस जगह पलवल के रेलवे स्टेशन पर स्मारक बना  हुआ है ज़ब यह बात पलवल के स्वतन्त्रता सेनानियों को पता चली की महात्मा गाँधी पलवल आए और उनकी गिरफ्तारी हुई | जिसके बाद पलवल के आस पास के गाँव इकट्ठे हुए और बड़ी भारी पंचायत हुई और यह फैसला हुआ की उनकी याद में कोई ना कोई ऐसा स्थान बनाया जाये जहाँ उनको याद रखा जाये | जिसके बाद पंचायतो व गाँव के लोगों ने ही फैसला लिया की रेलवे स्टेशन पर जहाँ से उन्हें गिरफ्तार किया गया वहीं उनकी प्रतिमा लगाई जाये लेकिन रेलवे विभाग ने वहां गाँधी जी की प्रतिमा बनाने की इजाजत नहीं दी | जिसके बाद 1938 में फिर दुबारा एक पंचायत हुई और पंचायत में फैसला हुआ की साढ़े चार एकड़ जमीन जो समलात के लोगों की ही थी जिसे लोगों ने आश्रम के नाम कर दिया और यहां स्मारक बना दियागया………..Mahatma Gandhi

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जिसे आज गाँधी आश्रम के नाम से जाना जाता है | 1938 में पंचायत ने यह फैसला लिया की इसकी नीव सुभाष चंद्र बॉस द्वारा रखी जाये | उस समय लोगों की विचार धारा यह थी की सुभाष चंद्र बोस गरम दल के नेता थे और गांधीजी नरम दल के नेता थे लेकिन दोनों का उद्देश्य भारत को आजाद कराने का था | स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा व पंचायत द्वारा सुभाष सुभाष चंद्र बोस को न्योता दिया गया 1938 में उन्होंने यहां आने का फैसला किया | जिसके बाद सुभाष चंद्र नेता जी का भव्य स्वागत किया गया उनके स्वागत में पूरे बाजार में कालिने बिछा दी गई | और गांधी आश्रम की नींव सुभाष चंद्र बोस द्वारा रखी गई | 1961 में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा रूप लाल महता जी जो उस समय एमएलए हुआ करते थे उनके द्वारा एक ट्रस्ट बनाया गया रजिस्टर कराया गया |
जिसके प्रथम प्रधान लाला लक्ष्मी नारायण उसके बाद लाला राम स्वरूप उसके बाद परमानंद कालडा उसके बाद देवी चरण मंगला गांधी आश्रम की देखभाल कर रहे हैं, जहां पीछे एक गार्डन भी है जिसमें प्राकृतिक पेड़ भी लगाए हुए हैं जहां सुबह-शाम सैर करने के लिए लोग आते हैं, यहां एक म्यूजियम बनाया हुआ है जहां पर गांधी जी की बचपन से लेकर और अंतिम संस्कार तक सारी प्रतिमाएं लगी हुई है, यहां पर गांधी जी के जन्मदिन पर, 26 जनवरी, 15 अगस्त पर और बच्चों के कार्यक्रम भी होते रहते हैं

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