प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – दिल्ली में तीनों नगर निगमों को एक करने का बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जैसे ही इस बिल को लोकसभा में पेश करने के लिए सदन पटल पर रखा विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया। लेफ्ट पार्टी RSP नेता एन के प्रेमचंद्र ने बिल को पेश करने का विरोध किया। प्रेमचंद्र ने अचानक बिना पूर्व सूचना के बिल को पेश करने का आरोप लगाते हुए असंवैधानिक बताया।
साथ ही कांग्रेस के गौरव गोगोई ने भी इस बिल को पेश करने पर अपनी आपत्ति जताई।गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार ने इस बिल को पेश करने से पहले विचार विमर्श नहीं किया। कांग्रेस नेता गोगोई ने कहा कि यह संघीय ढांचे का विरोध है। बीएसपी नेता रितेश पांडे ने भी इस बिल का विरोध किया।रितेश पांडे ने कहा कि आपने चुनाव नहीं करवाया और उसे रोकने के लिए बिल लेकर आ गए हैं, यह असंवैधानिक है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने भी इस बिल को पेश करने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। मनीष तिवारी ने इस बिल को संसद के अधिकार के बाहर बताते हुए बिल को पेश करने का विरोध किया। बिल को पेश किए जाने के दौरान सदन में हंगामा और शोरगुल बढ़ा तो स्पीकर ओम बिरला ने सांसदों को मर्यादा में रहने की नसीहत दी।
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एमसीडी एकीकरण बिल पर विपक्ष के विरोध को दरकिनार करते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि कहीं से भी इस बिल को पेश करने से संविधान की मूल भावना का उल्लंघन नहीं हुआ है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि जब निगम का विकेंद्रीकरण हुआ तो यह सोचा गया कि दिल्ली का विकास होगा। कर्मचारियों की बेहतरी होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आगे कहा कि दिल्ली नगर निगम की नीतियों में एकरूपता और दिल्ली के विकास में गति के लिए इस बिल को पेश किया गया है. इससे कर्मचारियों का वेतन भुगतान भी बेहतर हो पाएगा सेवा भी बेहतर हो पाएगी। गृहराज्य मंत्री के बयान के बाद सदन ने ध्वनिमत से इस बिल को पेश करने की अनुमति दे दी।
जो बिल केंद्र सरकार की तरफ से पेश किया गया है, उसमें दिल्ली नगर निगम में सीटों की अधिकतम सीमा 250 रखी गई है।जबकि फिलहाल तीनों निगमों को मिलाकर 272 सीटें हैं। जब तक चुनाव नहीं होते तब तक नगर निगमों पर निगरानी के लिए केंद्र सरकार एक स्पेशल अफ़सर नियुक्त करेगी। वहीं सीटों के निर्धारण के लिए परिसीमन किया जाएगा, ऐसे में चुनाव फिलहाल कुछ महीने टल सकते हैं।
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