दुनिया की सबसे खूंखार जनजाति, दुश्मन को मारकर खा जाते हैं और खोपड़ी का बनाते हैं तकिया

दुनिया के अलग -अलग देशों मे कई तरह की जनजातियां और आदिवासी प्रजातियां रहती हैं । यह जनजातियां अपनी परंपराओं, रहन -सहन और खान -पान के लिए जानी जाती हैं । ये जनजातियां जहां पर रहती है उन पर इनका पूरा अधिकार होता हैं इन प्रजातियों के अधिकारों में देश की सरकारें दखल नहीं देती हैं। आपको बता दे कि यें जनजातियां बेहद ही खूंखार और डरावनी होती हैं इन सब जनजातियों में से एक जाति अस्मत जनजााति भी है इस जाति के बेहद ही खूंखार माना जाता हैं ।

आपको बता दे कि अस्मत जनजाति ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप में स्थ्ति न्यू गिनी में पाई जाती हैं यें इस प्रकार की जनजातिया होती है कि अपने दुश्मन के लोगों को मार देते है और उसके मांस को पकाकर खा जाते है . इसके साथ ही मृतक की हड्डियों को गहनों के रूप में इस्तेमाल करते हैं और मृतक व्यक्ति के सिर का तकिया के स्थान पर इस्तेमान करते हैं। सबसे हैरान वाली बात ये है कि कभी -कभी खेपड़ी को तोड़कर बर्तन भी बना लेते हैं और उस खोपड़ी के बर्तन में खाना भी खाते हैं ।

अस्मत जनजाति के लोग इतने खतरनाक होते हैं कि दुश्मन को मारकर जब मांस पकाते हैं, तो उस दौरान उत्सव मनाते हैं। ऐसा वह दुश्मनों के दिल में खौफ पैदा करने के लिए करते हैं।आपको बता दे कि इस जनजाति के लोग अपने आपको योद्धा मानते हैं। इस जनजाति के लोग दुश्मन को मारने के बाद उसके सिर के मांस का दावत देते हैं।

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ऐसा वह इसलिए करते हैं, ताकि वह अपनी वीरता और आदिवासियों के प्रति वफादारी का प्रदर्शन कर सकें। जनजाति के लोग दुश्मन के सिर को तंदूर में भूनकर खा जाते हैं। इसके अलाना वो कई अजीबोगरीब रीति-रिवाजों का भी पालन करते हैं।न्यू गिनी में रहने वाले अस्मत जनजाति के लोग दुश्मन का मांस पकाते समय अनुष्ठान करते हैं। वह इसलिए ऐसा करते हैं, क्योंकि वह मानते हैं कि इंसान का सिर पवित्र होता है और उसकी तुलना फल से करते हैं। इसके साथ ही मृतक की हड्डियों को भविष्य के अनुष्ठानों में इस्तेमाल करते हैं। उत्सव के समय दुश्मन के सिर को बच्चों के पैर के बीच में रख देते हैं और इसके पीछे मान्यता है कि दुश्मन की शक्ति बच्चे में आ जाती है।

अस्मत जनजाति के लोग दुश्मन की हड्डियों को घर में रखना शुभ मानते हैं। इस जनजाति के ज्यादातर लोग नदियों के किनारे घर बनाकर रहते हैं। वह शिकार के लिए ऐसा करते हैं। वह दुश्मन की रीढ़ की हड्डी और निचले भाग को अपने साथ ट्रॉफी की तरह रखते हैं। दुश्मन के निचले जबड़े को घर में रखना शौर्य की निशानी मानते हैं।

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