Myopia: आजकल टेक्नोलॉजी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से बिमारियां भी बढ़ती जा रही हैं। लोग किसी चीज की जानकारी प्राप्त करने के लिए फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं। बड़े लोगों के साथ ही छोटे बच्चे भी अब ऑनलाइन क्लास करते हैं। छोटी उम्र में ही फोन, लैपटॉप का यूज करने से बच्चों की आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पिछले 20 सालों के आकड़े की बात करें तो ये जानकारी निकलकर सामने आई है कि मायोपिया नाम की बिमारी लोगों में 3 गुना बढ़ गई है। अब ये मायोपिया बिमारी क्या होती है और क्यों होती है, आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से..
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क्या होती है मायोपिया और इसे कैसे पहचाने ?
दरअसल, मायोपिया की समस्या लोगों में खास तौर पर ये छोटे उम्र के बच्चों में देखने को तब मिलती है जब उनकी आखों की पुतली लंबी हो जाती है या फिर कार्निया की वक्रता बढ़ने लगती है। मायोपिया को निकटदर्शिता के नाम से भी जानते हैं। दूसरे शब्दों में समझें तो मायोपिया में लोगों को नजदीक की वस्तुएं तो दिखती हैं लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली दिखने लगती है। अब आप सोचेंगे कि आपके बच्चे में ये समस्या है या नहीं ये कैसे पता करें तो जब आपका बच्चा बहुत नजदीक से मोबाइल, टीवी देखता है या फिर पढ़ाई करता है तो भी बहुत नजदीक से पढ़ता है, इस स्थिति में उसकी आंखों में मायोपिया की समस्या हो सकती है।
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कब होती है मायोपिया की समस्या ?
मायोपिया की समस्या तब होती हैं जब प्रकाश की किरणें सीधे रेटिना पर नहीं पड़तीं और आँखों का आकार बदलने लगता है। मायोपिया की समस्या मुख्य रूप से पढ़ाई करते वक्त मोबाइल या टीवी की स्क्रीन के इस्तेमाल से होता है। 40 साल से कम उम्र के लोगों या बच्चों में ये समस्या आम तौर पर देखने को मिलती है। लेकिन कहते हैं न कि किसी भी समस्या की उत्पत्ति से पहले उसके सामाधान की उत्पत्ति हो जाती है। बस हमें उस सामाधान को जानने की जरुरत होती है। तो चलिए आपको बताते हैं मायोपिया के सामाधान के बारे में..
मायोपिया से बचने के उपाय
वैसे तो मायोपिया के बचाव के लिए सबसे आम उपाय चश्मा होता है। डायग्नोस्टिक आई असेसमेंट के बाद एक प्रभावकारी लेंस आपको मिल जाता है, जिसकी मदद से आप दूर की वस्तुओं को आसानी से देख सकते हैं। लेकिन अगर आप रेगूलर चश्मे का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो आपको अपने खाने पीने पर विशेष ध्यान रखना होगा जैसे की हरी सब्जियां, फल, (जिसमें विटामिन A, C, और E मौजूद हो) खाना चाहिए। साथ ही आंखों के लिए नियमित व्यायाम भी करना होगा। इसके अलावा बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल करने से रोकें। ज्यादा देर तक स्क्रीन के पास न रह कर उन्हें बाहर खुले में या धूम में खेलने के लिए कहें। धूप में जाने से नेचुरल लाइट की मदद से उनकी आंखों पर अच्छा प्रबाव पड़ता है। जब भी वो घर में पढ़ाई करें तो कम रोशनी का इस्तेमाल न करने दें।