Navratri Day 7 Maa Kalratri Puja: नवरात्रि के सातवें दिन यानी महासप्तमी पर मां कालरात्रि की पूजा होती है। इस बार 21 अक्टूबर को महासप्तमी है। मां कालरात्रि का स्वरूप उनके नाम की तरह की घने अंधकार सा काला है। कालरात्रि मां के तीन नेत्र हैं, जोकि ब्रह्मांड की तरह गोल हैं। मां के इस रूप की सवारी गर्दभ यानी गधा है। उनका ऊपर उठा दाहिना हाथ वर मुद्रा में है। इस तरफ के नीचे वाले हाथ में अभय मुद्रा है। बाईं ओर ऊपर वाले हाथ में कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग है। आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा कैसे करते हैं और उन्हें किस चीज का भोग लगाया जाता है।
मां कालरात्रि पूजा
नवरात्रि के सातवें दिन देवी पार्वती की कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है, कहते हैं कि इस रूप में मां ने शुंभ और निशुंभ राक्षसों का वध किया था. मां कालरात्रि को महायोगेश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी भी कहा जाता है, माना जाता है कि इस रूप में मां की पूजा अर्चना करने से मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती है यानी कि कालरात्रि की पूजा करने से जातकों को अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है।
Read also – आज नहीं हो पाया गगनयान का पहला ट्रायल, लॉन्चिंग से 5 सेकंड पहले रोकी टेस्ट फ्लाइट, जानें क्या था इसका मकसद
मां कालरात्रि पूजा मंत्र
ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा
देवी पार्वती के कालरात्रि रूप की पूजा करने के लिए सुबह और रात्रि दोनों का समय शुभ माना जाता है. इस रूप में मां की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करके लाल कंबल के आसन पर बैठे। मां कालरात्रि की तस्वीर स्थापित करें, वहां गंगाजल का छिड़काव करें, इसके बाद दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ मां के जयकारे लगाएं, दुर्गा चालीसा का पाठ करें, हवन करें और मां कालरात्रि को गुड़ से बनाएं मालपुए का भोग जरूर लगाएं। आप चाहे तो रुद्राक्ष की माला से मां के मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।