(दीपा पाल )- 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के पांच दिनों के विशेष सत्र में संसद की कार्यवाही पुराने भवन के बजाय नए भवन में चलने की संभावना है। इसका उद्घाटन 28 मई को हुआ था।इस बदलाव के बारे में अलग-अलग सांसदों ने अपने विचार दिए।
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि पुराने पार्लियामेंट का अपना ऐतिहासिक महत्व है। वहीं देश को आजादी मिली थी। वहीं नेहरू जी की फेमस स्पीच हुआ थी कि जब पूरा विश्व सो रहा तो भारत जागा है। सारी चीजें उसकी यादें जुड़ी हुई हैं। मुझे लगता है कि पुराने पार्लियामेंट के बिल्डिंग का महत्व बरकरार रखा जाना चाहिए। नये में जाने के साथ-साथ।
सत्ताधारी पार्टी के सांसदों का तर्क है कि संसद का नया संसद भवन इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश को ज्यादा सांसदों की जरूरत है और पुराने भवन में उनके बैठने के लिए जगह कम है हमारा जो पार्लियामेंट क्षेत्र है, उसमें सात एसेंबली हैं। और हमारे पार्लियामेंट क्षेत्र में वोट की संख्या 20 लाख है। इंग्लैंड में एक संसदीय क्षेत्र का पॉपुलेशन होता है
50 हजार से 60 हजार वोटर। हमारा 20 लाख। है जरा सोचिए। इतने बड़े संसदीय क्षेत्र नहीं हो सकते। इसके बारे में सोचें। हमारे पास इतने बड़े संसदीय क्षेत्र नहीं हो सकता। आपको नंबर बढ़ाने होंगे। पुराने पार्लियामेंट में जगह नहीं था, नंबर बढ़ाने के लिए । इसलिए नया पार्लियामेंट हाउस की जरूरत पड़ी। क्या आपने नई संसद देखी है? दुनिया में इतना सुंदर पार्लियामेंट शायद ही कही होगा।
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डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि एक सांसद के रूप में, मुझे संसद में सेंट्रल हॉल से बेहतर कोई जगह नहीं मिली। मेलजोल के लिए, दोस्ती के लिए, विचार साझा करने के लिए, मेलजोल और शालीनता के लिए। सेंट्रल हॉल वैचारिक मतभेदों को दूर रखने, ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत करने की जगह है। यहां नजरिया साझा कर सकते थे, वैचारिक बाधाओं को तोड़ सकते थे और निश्चित रूप से मज़ेदार तरीके से गपशप कर सकते थे। संसद में मेरा सबसे खुशनुमा समय यहीं बीता है।संसद भवन, केंद्रीय कक्ष, समिति कक्ष; ये सभी 15 सालों से मेरे अस्तित्व का हिस्सा रहे हैं। मुझे लगता है कि पुराने संसद भवन में कुछ समय तक काम जारी रह सकता था। मोदी ने जबरन नया भवन बनाया है।