लोकसभा अध्यक्ष ने मेघालय विधानसभा के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया

(प्रदीप कुमार )- लोकसभा अध्यक्ष ओम  बिरला  ने आज संसद परिसर में मेघालय विधानसभा के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मेघालय विधान सभा के अध्यक्ष श्री थॉमस ए संगमा उपस्थित रहे। इस अवसर पर बोलते हुए बिरला ने कहा कि मेघालय विधान सभा की गिनती देश की सबसे अनुशासित सभाओं में होती है जहां सार्थक वाद-विवाद के माध्यम से इस संस्था की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखा गया है।..om birla 
भारतीय लोकतंत्र को विश्व का सबसे बड़ा कार्यशील लोकतंत्र है बताते हुए ओम बिरला ने विचार व्यक्त किया कि लोकतांत्रिक परंपराएं और मूल्य भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। सहिष्णुता,  राजनैतिक मतभेद के बावजूद एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर मुद्दों का समाधान करना सदियों से भारत की पहचान तथा भारतीय राजनीतिक विचारधारा का अभिन्न अंग रहे हैं, श्री बिरला ने कहा।
संसदीय प्रक्रिया का जिक्र करते हुए ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन इन मतभेदों को चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहिए।  यह विचार व्यक्त करते हुए कि  नियोजित ढंग से सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालना अनुचित है, उन्होंने  जनप्रतिनिधिओं का आवाह्न किया कि उन्हें सदन में ऐसा आचरण करना चाहिए, जिससे देश और प्रदेश तक यह संदेश जाए कि राष्ट्र के समक्ष उपस्थित समस्याओं पर सदन में पूरी प्रतिबद्धता और सरोकार के साथ विचार हो रहा है। किसी भी विषय पर विरोध दर्ज करने के लिए सभा की कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे जनता में यह गलत संदेश जाता है कि जनसामान्य तो इतनी परेशानियों में घिरा है और उसके प्रतिनिधि सदन का कीमती समय नष्ट कर रहे हैं। सदन में सहमति हो, असहमति हो, पर व्यवधान और शोरगुल ना हो,
ओम बिरला ने सुझाव दिया।  उन्होंने बताया कि सारी दुनिया में हमारे विधान मंडलों को आदर्श के रूप में देखा जाता हैऔर हमारी विधायिका को लोकतांत्रिक वाद-विवाद के सर्वोच्च मंच के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए जनप्रतिनिधि को अनुशासन और मर्यादा के तहत आचरण करना चाहिए। अतः राजनीतिक लाभ के लिए सभा की कार्यवाही को रोकना उचित नहीं  है। उन्होंने कहा कि सदन के नियमों, प्रक्रियाओं और परंपराओं के मौजूदा ढांचे के तहत, एक सदस्य सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठा सकता है, जनता की समस्याओं को उजागर कर उनके निवारण की मांग कर सकता है और नीति निर्माण पर सार्थक प्रभाव डाल सकता है । उन्होंने आगे कहा कि  सरकार की आलोचना करते समय या किसी मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते समय सदस्यों को समन्वित और पूर्व नियोजित तरीके से सदन की कारवाई में बाधा नहीं डालना चाहिए।

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निर्धारित समय के भीतर कानूनों से सम्बंधित नियम बनाने पर जोर देते हुए ओम बिरला ने सुझाव दिया कि विधानसभाओं की नियम समिति नियमित रूप से बैठक करें, नियमों की समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि नियम और  अधिनियम समय की मांग के अनुसार संशोधित किये जाएं । विधान सभाओं द्वारा विधानों के प्रभाव का अध्ययन और समीक्षा की जानी चाहिए, ओम बिरला ने कहा। संसदीय समितियों के महत्व पर बोलते हुए,  बिरला ने कहा कि संसदीय समितियां महत्वपूर्ण सिफारिशें देती हैं और उनकी रिपोर्ट बहुत प्रासंगिक होती हैं। उन्होंने सदस्यों से उनकी क्षमता निर्माण के लिए इन रिपोर्टों का अध्ययन करने का सुझाव दिया । ओम बिरला ने विधानसभाओं के अनुसंधान प्रभाग को मजबूत करने का भी सुझाव दिया। इस संबंध में बिरला ने कहा कि सभी विधानसभाओं की डिबेट्स  और सभी विधानसभाओं के पुस्तकालय एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हों, इस दिशा में काम किया जा रहा है।
इससे पहले, मेघालय विधान सभा के अध्यक्ष  थॉमस ए संगमा ने प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित करने के लिए ओम बिरला को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि इससे सदस्यों के क्षमता निर्माण में सहायता । उत्पल कुमार सिंह, महासचिव, लोक सभा ने स्वागत भाषण दिया और  प्रसेनजीत सिंह, अपर सचिव ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा मेघालय विधान सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।…om birla 

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