(कृष्णा बाली): आज तीसरे माता के नवरात्री पर अंबाला शहर के ऐतिहासिक दुःख भंजनी माँ काली मंदिर मे काली माँ को भक्तों ने दूध से स्नान करवाया। कहा जाता है कि देश मे दो ही जगह माँ काली को दूध से स्नान करवाया जाता है एक कलकत्ता मे और दूसरा अंबाला मे दोनों ही जगह साल मे दो बार आने वाले नवरात्रे मे तीसरे नवरात्रे को दूध स्नान करवाया जाता है। दूध स्नान के बाद उस दूध कि की खीर बनाकर भक्तो को प्रशाद के रूप मे दी जाती है या भक्त खुद ही दूध को प्रशाद के रूप मे घर ले जाते है। ऐसी मानता है कि “दूधो नहाओ पूतो फ्लो ” कि कहावत यहाँ चरितार्थ होती है।
इन दिनों माता के नवरात्रे चल रहे है और आज तीसरा नवरात्रा है। माता के भक्त अपनी अपनी श्रद्धा क्व साथ माता कि पूजा करते है। वैसे तो देश मे माता के कई ऐतिहासिक तीर्थ स्थान है जिनकी अपनी अलग अलग महत्व है। लेकिन माँ काली को दूध से स्नान करवाने कि परम्परा केवल अंबाला के माँ दुःख भंजनी काली मंदिर जो अंबाला शहर है और एक कालकत्ता मे ही है। माता के भक्त तीसरे नवरात्रे माँ काली को दूध स्नान करवाते है। श्रद्धालु अपने-अपने घर से दूध लाकर माता की मूर्ति को स्नान करवाते है, बाद में इस दूध से खीर का प्रसाद बनाकर श्रद्धालुओं को दिया जाता है। श्रद्धालुओं की अगर माने तो उनका कहना है कि वे काफी समय से इस मंदिर मे और यहाँ पर वे तीसरे नवरात्रे पर माता को दूध स्नान करवाते ही जिससे उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है। उनका कहना है कि “दूधो नहाओ पूतो फ्लो ” वाली कहावत सिर्फ यही चरितार्थ होती है।
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इस मंदिर मे वैसे तो सारा साल ही माता के भक्तों कि भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्रो मे इस मंदिर का विशेष महत्त्व है। क्योंकि श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां पर मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। मंदिर के पुजारी व मंदिर मे सेवा कर रहे सेवादारों का कहना है कि ये मंदिर बहुत ही ऐतिहासिक है। नवरात्रों मे यहां पर श्रद्धालुओं की सुबह से ही भीड़ लग जाती है और खासकर तीसरे नवरात्र मे श्रद्धालु सुबह ही मन्दिर पहुँच जाते है। तीसरे नवरात्रे मे ही माता को दूध स्नान करवाया जाता है। माता के भक्त सुबह से ही अपने घरों से दूध लेकर अपनी बारी का इंतज़ार करते है और माता को दूध स्नान करवाकर अपने आपको धन्य समझते गई। उन्होंने बताया कि दूध स्नान देश मे सिर्फ दो जगह ही करवाया जाता है एक अंबाला व दूसरा कलकत्ता।