अमन पांडेय : क्या आपने कभी ऐसे स्कूल के बारे में सुना है जहां पर स्कूल केवल एक बच्चे के लिए चलता हो और स्कूल में केवल एक ही टीचर हों ? आज हम आपको एक ऐसे ही स्कूल के बारे में बताने जा रहा है।
यह स्कूल महाराष्ट्र के वाशिम जिले के गणेशपुर में है। यह स्कूल लगातार एक छात्र के लिए चल रहा है। जाहां एक ओर कई छात्र सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ लेते है, वहीं दूसरी ओर कार्तिक हर रोज समय से स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी करने और कुछ कर दिखाने के इरादे से स्कूल पहुंचता है।
वाशिम जिले का सबसे छोटा गांव गणेशपुर है, जिसकी आबादी 150 से 200 होगी। इस गांव की जिला परिषद प्राथमिक स्कूल की चर्चा फिलहाल पूरे जिले में हो रही है। स्कूल में कक्षा 1 से 4 तक की क्लासेज है, लेकिन स्कूल में सिर्फ एक ही विघार्थी है। इस विघार्थी को पढाने के लिए स्कूल में एक ही शिक्षक है। क्योंकि इस स्कूल में विघार्थियों की संख्या नहीं है इसलिए केवल एक विघार्थी को शिक्षा दी जाती है।
कहते है अगर शिक्षा से लगाव हो तो मंजिल मिल ही जाती है, छात्रों की संख्या एक होने पर स्कूल खुल जाता है।शिक्षक भी केवल एक ही होते हुए भी प्रतिदिन शिक्षा दी जाती है।कार्तिक शेगोकार नामक विद्यार्थी रोज़ समय से स्कूल आता है. कार्तिक तीसरी कक्षा में पढ़ता है, हर दिन उसके शिक्षक उसे पढ़ाने के लिए 12 किमी की दूरी से आते हैं। ये दोनों लोग राष्ट्रगान गाते हैं और फिर कार्तिक को उसके शिक्षक पढ़ाते हैं।
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शिक्षक किशोर मानकर ने बताया कि कार्तिक अकेला होते हुए भी वह उसे पढाते हैं और उन्हें इस बात से बोरियत भी महसूस नहीं होती है। खास बात है कि ये स्कूल पूरे गांव का एकलौता स्कूल है और यहां शिक्षक और विघार्थी भी एक एक ही हैं।
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