LAC पर भारत-चीन तनाव के बीच क्या हैं हालात, राजनाथ सिंह ने दिया जवाब !

नई दिल्ली- कोरोना काल में शुरू हुए लोकसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के मुद्दे पर जवाब दिया है। विपक्ष की ओर से लगातार कई मुद्दों पर घिरने के बाद आज संसद में राजनाथ सिंह ने विपक्ष को हर सवाल का जवाब दिया है। रक्षामंत्री ने ये साफ कर दिया कि चीन के साथ सीमा विवाद का मुद्दा गंभीर है। हम सभी परिस्थितियों से निपटने को तैयार हैं, लेकिन दोनों देश फिलहाल शांती पर सहमत हैं।


चीन मु्द्दे पर सदन में जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, मैंने लद्दाख जाकर जवानों का हौंसला बढ़ाया। सीमा विवाद एक जटिल मुद्दा है। हमारे जवानों ने बलिदान दिया है। इस मुद्दे का समाधान शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए निकाला जाना चाहिए। चीन ने हथियारों की तैनाती को बढ़ाया है। चीन की हरकत हमें मंजूर नहीं है। हमारे भारतीय जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देकर मातृभूमि की रक्षा की। हमारे जवानों ने संयम और शौर्य का परिचय दिया।

Also Read- चीन को हराकर संयुक्त राष्ट्र में ECOSOC का सदस्य बना भारत

उन्होंने ये भी कहा कि, गलवान घाटी में हमारे जवानों ने चीनी पक्ष को भारी क्षति पहुंचाई। पेंगोंग में चीन ने यथास्थिति को बदलने की कोशिश की। हमारे जवानों ने चीन की हरकत को पहले ही भांप लिया था। हमारी सेना सीमा सुरक्षित करने में कामयाब रही। हम विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए प्रतिबद्ध है। हम इसका शांतिपूर्ण हल चाहते हैं। हम सभी परिस्थितियों से निपटने को तैयार हैं। बड़ी चुनौती के समय सदन एकजुट रहा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि मॉस्को में “चीनी रक्षा मंत्री के साथ बैठक में, मैंने स्पष्ट रूप से कहा कि हमारे सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति एक जिम्मेदार रुख अपनाया है, लेकिन साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। हमने चीन को डिप्लोमैटिक और मिलिट्री चैनल्स के माध्यम से ये अवगत करा दिया कि इस तरह की गतिविधियां स्टेटस-को यथास्थिति को बदलने का प्रयास है। ये भी साफ कर दिया कि ये प्रयास किसी भी सूरत में हमें मंजूर नहीं है। एलएसी के ऊपर प्रिक्शन बढ़ता हुआ देखकर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को मीटिंग की और इस बात पर सहमति बनी कि रेसीप्रोकल एक्शंस के जरिए डिसइंगेजमेंट किया जाए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर समहत हुए कि एलएसी को माना जाएगा और कोई भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी जिससे यथास्थिति बदले। चीन की तरफ से 29 और 30 अगस्त की रात को सैनिक कार्रवाई की गई।जो पेंगोंग लेक के साउथ बैंक एरिया में यथास्थिति को बदलने का प्रयास था।लेकिन एक बार फिर हमारी आर्म्स फोर्सेज की तरफ से उनके प्रयास विफल कर दिए गए।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इन घटनाक्रमों से ये साफ है कि चीन की कार्रवाई से हमारे द्विपक्षीय समझौतों के प्रति उसका डिसरिगार्ड पूरी तरह से दिखता है। चीन की तरफ से भारी मात्रा में सैनिकों की तैनाती किया जाना 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन है।

Also Read- कोविड-19 प्रबंधन पर मुख्य सचिव की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को क्या निर्देश दिए गए?

राजनाथ सिंह ने कहा कि एलएसी का सम्मान करना और उसका कड़ाई से पालन किया जाना सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव का आधार है।1993 और 1996 के समझौते में इसे साफ तौर पर स्वीकार किया गया है. हमारी सेना इसका पूरी तरह से पालन करती हैं।चीन की तरफ से ऐसा नहीं हुआ है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी को भी हमारे सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे दृढ़ निश्चय के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए। भारत मानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता जरूरी है।

सदन में रक्षामंत्री ने सभी दलों से अनुरोध करते हुए कहा कि, लद्दाख में हम एक चुनौतीपूर्ण माहौल से गुजर रहे हैं। पूरे सदन को एकजुट होकर एक रिजोल्यूशन पारित करना चाहिए और एक संदेश भेजना चाहिए पूरा देश अपने जवानों के साथ मजबूती के साथ खड़ा है।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates, Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter  and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *