अमन पांडेय : भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पाकिस्तान के हालत बद से भी बदतर होती चली जा रही है आज पाकिस्तान अपने बदहाल हालातों के लिए पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिरता चला जा रहा है और गोल्ड रिजर्व भी उसी तेजी घट रहा है । वहीं कर्ज के बोझ के तले पहले से दबा पाकिस्तान ताजा आर्थिक संकट से उबरने के लिए इसे बढाता जा रहा है। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर इस फाइनेंशियल क्राइसिस से निकलने के लिए उसके पास कौन कौन से रास्ते है ?
भारत ने गिरवी रखा था सोना
सबसे पहले बात कर लेते हैं उस विकल्प के बारे में जिसकी दम पर भारत 90 के दशक में पैसे जुटाने के लिए अपनाया था. तो बता दें भारत के इतिहास में 1991 के वर्ष को आर्थिक सुधारों के नजरिये से सबसे अहम माना जाता है। इससे पहले भारत की अर्थव्यवस्था खुली नहीं थी।1991 और उसके बाद के संदर्भ में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. सी. रंगराजन की किताब में कई खुलासे किए गए हैं। शीर्षक की इस किताब में पूर्व गवर्नर ने लिखा है कि ये ऐसा समय था जब भारत को पैसे जुटाने के उपाय और रास्तों के बारे में सोचना था। तब हमने विदेश में सोना गिरवी रखकर पैसे जुटाने का फैसला किया। 46.91 टन सोना विदेश में गिरवी रखा गया था। इस तरीके से हमने उस समय करीब 50 करोड़ डॉलर जुटाए थे। यह राशि आज काफी कम लग सकती है, लेकिन उस समय काफी थी।
महंगाई की मार पाकिस्तान में कोहराम
अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान में हर बीतते दिन के साथ साथ हालात और भी खराब होते जा रहे है। देश में मंहगाई 25 फीसदी के चरम पर पहुंच गई है और लोगों को जरुरी सामनों और खाने पीने की चीजों के भी लाले पड़े है। गेहूं के अकाल ने लोगों की थाली से रोटी गायब कर दी है। आटे की जंग ऐसी चल रही है कि लोग एक बोरी के लिए मरने-मारने तक को तैयार हैं। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खत्म होता जा रहा है, जिसके चलते जरूरी सामानों के आयात का संकट गहराता जा रहा है। इस सबसे बीच धराशायी पाकिस्तानी सरकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अमेरिका-सउदी अरब समेत अन्य देशों से मदद की गुहार लगा रहा है।
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कर्ज के बोझ तले दबा है देश
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार की आर्थिक नीतियों पर कई इकोनॉमिस्ट सवाल खड़े कर चुके हैं। इसमें इस्लामाबाद के अर्थशास्त्री साकिब शेरानी के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान पर अगले दो वर्षों के लिए सालाना 20 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज चुकाने का भार है।उन्होंने बताया कि 2017 में पाकिस्तान का सालाना कर्ज भुगतान 7 अरब डॉलर के करीब था। वहीं 2023 और 2024 में यह 20 अरब डॉलर डॉलर के आस-पास है। उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी रोडमैप के हम आर्थिक संकट से निकलने के लिए कोई ठोस कदम उठाने के बजाय कर्ज लेना जारी रखे हुए हैं।
पाकिस्तान लगातार ले रहा उधारी
पाकिस्तान के ताजा हालात पर गौर करें तो विदेशी मुद्रा भंडार विदशों से लिए भारी-भरकम कर्ज के बावजूद कम होता जा रहा है। पिछले तीन महीनों में पाकिस्तान ने विदेशों से 5 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज लिया है, लेकिन फिर भी अपने विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित नहीं रख पा रहा है। पाकिस्तान में ये बुरे हालात करीब एक साल में ही विकराल हो गए हैं।