140 करोड़ भारतीय मोदी सरकार द्वारा थोपे गए अन्याय काल में जीने को मजबूर- कांग्रेस 

(प्रदीप कुमार)- कांग्रेस ने कहा कि 140 करोड़ भारतीय मोदी सरकार द्वारा थोपे गए अन्याय काल में जीने को मजबूर हैं। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस संचार विभाग में मीडिया और पब्लिसिटी के चेयरमैन पवन खेड़ा ने आकंड़ों के साथ मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि आज देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है, पिछले दस साल अन्याय काल के रहे हैं। इस अन्याय काल के खिलाफ राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ निकाल रहे हैं। कांग्रेस मोदी सरकार के 10 वर्षों के कुशासन से 140 करोड़ भारतीयों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगी।
पवन खेड़ा ने कहा कि इस अन्याय काल का आखिरी बजट आने वाला है। मोदी सरकार हर चीज को इवेंट बनाकर असलियत को ढंक देती है, आने वाला बजट भी कुछ इसी तरह का होगा। इस बजट भाषण की चकाचौंध से इस सरकार की वास्तविकता धुंधली नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आंकड़ों के साथ मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि इजराइल में हिंसा जारी है, लेकिन दस हजार पदों पर भर्ती के लिए यूपी और हरियाणा के कई नौजवान इजराइल जाना चाह रहे हैं। देश में हर घंटे दो नौजवान और एक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। मोदी सरकार सीमा पर जाने वाले फौजियों को सिर्फ चार साल की नौकरी दे रही है। यह अन्याय काल की स्थिति है। भाजपा सरकार बड़े घमंड से कहती है कि हम 80 करोड़ लोगों को राशन दे रहे हैं। यह किसी भी सरकार के लिए बेहद शर्म की बात है कि 80 करोड़ लोग मुफ्त के राशन पर निर्भर हैं।
पवन खेड़ा ने कहा कि आधे भारतीय लोगों (71 करोड़) की आय प्रति वर्ष 3,87,000 रूपये या उससे कम है। निचले दस प्रतिशत लोगों की प्रति व्यक्ति मासिक आय मात्र छह हजार रुपये है और निचले 11-20 प्रतिशत लोगों की मासिक आय 12 हजार रुपये है। पिछले पांच वर्षों में मोदी सरकार के कुशासन में वास्तविक ग्रामीण मजदूरी की वृद्धि दर नकारात्मक हो गई है, जिसका अर्थ है कि व्यापक ग्रामीण संकट है।

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पवन खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार गरीबी के आंकड़ों का ढिंढोरा पीट सकती है। लेकिन कड़वी हकीकत इससे अलग है। यूएनडीपी के बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, 22.8 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे है। नीति आयोग के मुताबिक यह 16.8 करोड़ हैं। हमारे गरीबों की दयनीय स्थिति मनरेगा की लगातार बढ़ती मांग से भी पता चलती है। मनरेगा के तहत 15.4 करोड़ सक्रिय पंजीकृत श्रमिकों को एक वर्ष में 100 दिन काम देने का वादा किया गया था, लेकिन पिछले पांच वर्षों में उन्हें औसतन केवल 49-51 दिन ही काम आवंटित किया गया।
पवन खेड़ा ने कहा कि तीन में से एक ग्रेजुएट नौकरी की तलाश में है, लेकिन नहीं मिल रही है। तीन में से एक ग्रेजुएट को अपनी नौकरी खोने का भी खतरा है। औपचारिक रोजगार सृजन 30 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने 45 साल की उच्चतम बेरोजगारी दर के साथ भारत को बेरोजगारी में विश्व गुरु बना दिया है। निजी उपभोग व्यय में वृद्धि, जो रोजगार सृजन का मुख्य स्त्रोत है, वह 21 साल में सबसे कम है। एफएमसीजी की बिक्री में 2023 में कोई वृद्धि नहीं देखी गई, जिससे फिर संकेत मिलता है कि घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर क्यों है। 2018-19 से 2022-23 के बीच जनता से व्यक्तिगत कर संग्रह में 50.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन कॉर्पोरेट कर संग्रह में केवल 2.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह लगातार बढ़ती आर्थिक असमानताओं को दर्शाता है।
पवन खेड़ा ने कहा कि भले ही मोदी सरकार पिछले दरवाजे से चुनी हुई सरकारों को गिराने में व्यस्त है, लेकिन आर्थिक संकट अनिश्चित बना हुआ है। आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी न्याय का सकारात्मक एजेंडा पेश करेगी, जिसकी बात हमारे नेता राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में की है। न्याय के पांच स्तंभ युवा न्याय, भागीदारी न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रम न्याय हैं।

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