(दिवाँशी)- Medicine Update- अमेरिका के राजकीय दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात हुई। उसमें मेडिकल क्षेत्र से जुड़े कई विषय भी शामिल किए गए। उनमें फार्मास्युटिकल आपूर्ति श्रृंखला और टीके के लिए कच्चे माल को लेकर जो सहमति बनी है, उससे भारत के दवा उद्योग को तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस द्वारा आयोजित क्वालिटी फोरम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि दवा उद्योग के लिए स्व नियामकीय संस्था बनाने की योजना है, जो दवा उद्योग का आकलन करेगी। जिससे दवा क्षेत्र में सुधार होगा।
क्या कहते है नए आंकड़े?
इस समय भारत दुनिया में फार्मा के रूप में धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। पांच दशक पहले भारतीय दवा उद्योग केवल विदेशी कंपनियों पर ही निर्भर रहता था, अब वहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर दे रहा है। नए आंकड़े बता रहे है कि देश में 3,000 से अधिक दवा कंपनियां हैं, 10,500 से अधिक क्रियाशील दवाई उत्पादक कंपनियां हैं तथा भारत 185 से अधिक देशों को दवाओं का निर्यात करता है। भारतीय दवा उद्योग उत्पादन के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है और दवाई के मूल्य के मामले में 14वें स्थान पर है। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि इस समय विश्व की करीब 70 फीसदी जेनेरिक दवा का निर्माण भारत में होता हैं।
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तेजी से बढ़ने के कारण
भारत के तेजी से आगे बढ़ने के कई कारण हैं। कोरोना और रूस- यूक्रेन युद्ध की वजह से जिस तरह से पूरे विश्व में दवाई की समस्या हुई है, उसका फायदा भारत को मिल रहा हैं। भारत में दवा उत्पादन की लागत अमेरिका और पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम हैं। भारत में फार्मा में तेजी का कारण केंद्र सरकार का दवाईयों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने, अधिक कीमतों वाली दवाईयों के स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहन करना भी हैं।
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