जनप्रतिनिधियों को कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए: भारत के उपराष्ट्रपति

(प्रदीप कुमार)-नौवां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ(सीपीए)भारत क्षेत्र सम्मेलन जिसका उद्घाटन कल लोक सभा अध्यक्ष,ओम बिरला ने किया था, आज भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, जगदीप धनखड़ के समापन भाषण के साथ संपन्न हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए, भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, जगदीप धनखड़ ने कहा कि सीपीए भारत क्षेत्र लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा करने और उन मूल्यों को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा है, जिन्हें परिपुष्ट करने के लिए सी पी ए संघ प्रयासरत है। दुनिया हमें जानती है; हमारा देश लोकतंत्र की जननी हैं; हमारा देश सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं; विश्व के 1/6 लोग हमारे देश में रहते  हैं और हमारा लोकतंत्र दुनिया में अद्वितीय है, क्योंकि भारत में ग्राम स्तर पर, पंचायत स्तर पर, जिला परिषद स्तर पर, राज्य स्तर पर और केंद्रीय स्तर पर संवैधानिक रूप से स्थापित लोकतान्त्रिक संस्थाएं है। श्री धनखड़ ने आगे कहा कि यह मंच हमें वर्तमान में विधानमंडलों और राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत महत्वपूर्ण चुनौतियों के बारे में गहन विचार-विमर्श करने का अनूठा और अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।

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इस बात का उल्लेख करते हुए कि जन प्रतिनिधियों को लोगों का आदर्श होना चाहिए , उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनसे ऐसे आचरण की अपेक्षा की जाती है जो दूसरों के लिए अनुकरणीय हो। जब हम अपने अंतर्मन में झांकते हैं, जब हम विचार करते हैं, चिंतन करते हैं तो हमें एक चिंताजनक स्थिति दिखाई देती  है। उन्होंने कहा कि  हमें जमीनी हकीकत पर ध्यान देना होगा। विधानमंडलों की बात करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर के रूप में विधानमंडल संवाद, विचार-विमर्श, वाद-विवाद और चर्चा के लिए होते हैं, लेकिन इन दिनों, विधायकों के कारण विधानमंडल अशांति और अव्यवस्था का केंद्र बन गए हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में, संसद और विधानमंडल अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।
उन्होंने जन प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे कार्यपालिका की जवाबदेही और शासन व्यवस्था में  वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करें । जनप्रतिनिधि सबसे महत्वपूर्ण मंच पर जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनप्रतिनिधियों के पास कार्यपालिका, सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने की शक्ति है। सरकार के तीनों अंगों के बीच सामंजस्य पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र की सफलता के लिए विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका को सामंजस्य के साथ काम करना चाहिए, मिलकर और एकजुट होकर काम करना चाहिए । परंतु वे संसद और विधानमंडल ही है जो जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनाकांक्षाओं को मूर्त रूप देते हैं राजस्थान के माननीय राज्यपाल, कलराज मिश्र; लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला; राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष, डॉ. सी. पी. जोशी और राष्ट्रमंडल संसदीय संघ मुख्यालय के चेयरपर्सन , इयान लिडेल ग्रैन्जर ने इस अवसर की शोभा बढ़ाई।
राजस्थान के राज्यपाल, कलराज मिश्र ने विश्व में लोकतंत्र को मजबूत करने में सीपीए की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण संगठन है जो पूरी दुनिया में लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है । उन्होंने यह भी  कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत सीपीए के कार्यों के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। सम्मेलन के विषय के बारे में कलराज मिश्र ने कहा कि त्वरित तकनीकी प्रगति के वर्तमान युग में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि  एआई जैसी विभिन्न उभरती प्रौद्योगिकियों का नैतिक ढंग से सदुपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की सहायता से शासन में अधिक  पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करके कई चुनौतियों का समाधान किया जा सकता  है।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए, लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन सफल रहा और सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श से विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत वर्तमान और भावी चुनौतियों के समाधान में बहुत मदद मिलेगी राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष, डॉ. सी. पी. जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रतिनिधियों को सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत के उपराष्ट्रपति और  लोक सभा अध्यक्ष को भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के कार्यकरण के बारे में अपने विचार  साझा करने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देते हुए  विश्वास व्यक्त किया कि पिछले दो दिनों में हुए विचार-विमर्श से विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी पीठासीन अधिकारी लाभान्वित होंगे । चर्चा के निष्कर्ष के बारे में बात करते हुए डॉ  जोशी ने कहा कि प्रतिनिधियों की सर्वसम्मत राय थी कि डिजिटल माध्यम भविष्य में सहभागी लोकतंत्र में निर्णायक भूमिका निभाएंगे और विधायकों के रूप में उन्हें अपने कार्यों की सार्वजनिक जांच के लिए तैयार रहना होगा।
इसलिए, पीठासीन अधिकारी और जन प्रतिनिधि के रूप में जनप्रतिनिधियों के लिए आवश्यक है कि वे एक उदाहरण स्थापित करें और अपने कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करें। अंत में उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से ‘अमृत काल’ में राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह किया ।
सम्मेलन में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर संसद सदस्य और राजस्थान विधान सभा के सदस्य भी उपस्थित रहे।

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