पिंगली वेंकैया जयंती: जानें कौन हैं राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ के रचयिता, जिनकी रचना बनी देश की शान और शहीदों का सम्मान

हमने हमेशा अपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को लेकर गर्व महसूस किया है और इसी तिरंगे की शान के लिए हमारे बहादुर जवान देश के दुश्मनों से लोहा लेकर मातृभूमि सेवा करते हुए हंसते-हंसते शहीद हो जाते हैं जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर किसी आम कफन में नहीं तिरंगे में लिपटकर आते हैं। ये सम्मान उन वीर जवानों के लिए सर्वोच्च होता है। हम सभी जानते हैं कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज को बहुत ही खास तरीके से बनाया गया है। लेकिन जब बात इसके निर्माण की आती है तो यह सवाल मन में अवश्य आता है कि इतना सुंदर राष्ट्रीय ‘ध्वज’ किसने बनाया ? आइए जानते हैं उन पिंगली वेंकैया के बारे में जिनकी जयंती आज सारा देश मना रहा है।

Read Also: दिल्ली कोचिंग हादसा: दृष्टि IAS के डायरेक्टर विकास दिव्यकीर्ति ने की ये बड़ी घोषणा

2 अगस्त का इतिहास

क्या आप जानते हैं कि 2 अगस्त का इतिहास हम सभी भारतीयों के लिए खास क्यों है क्योंकि इसी दिन भारत के राष्ट्रीय ध्वज की रचना करने वाले पिंगली वेंकैया का जन्म हुआ था। महान सेनानी पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1878 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के भाटलापेनुमारु में हुआ था। पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिक भी थे। जब वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे तब उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। महात्मा गांधी ने उन्हें भारत के लिए राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने को कहा था।

क्या है देश के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास ?

पिंगली वेंकैया ने 5 सालों तक विश्व के सभी देशों के ध्वजों का अध्ययन किया और उसके बाद राष्ट्रीय ध्वज को बनाया। इस अध्ययन के दौरान उन्होंने 1916 में एक पुस्तक भी प्रकाशित की जिसका नाम था ‘भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज’। इस किताब में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए लगभग 30 डिजाइनों को प्रकाशित किया।1921में कांग्रेस अधिवेशन में वेंकैया ने महात्मा गांधी को लाल और हरे रंग के साथ चरखे वाला ध्वज दिखाया जिसके बाद यह प्रचलन में आ गया। कुछ समय बाद वेंकैया कि जालंधर के लाल हंसराज के साथ मुलाकात हुई और उन्होंने ध्वज में एक राष्ट्रीय चिन्ह को शामिल करने का सुझाव दिया। महात्मा गांधी ने भी ध्वज में शांति को दर्शाने के लिए सफेद रंग को शामिल करने का सुझाव दिया। 1931 में कांग्रेस ने केसरिया, सफेद और हरे रंग वाले तिरंगे को औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त की।

बता दें कि 1931 तक तिरंगे में अशोक चक्र को शामिल नहीं किया गया था। 21 जुलाई 1947 को अशोक चक्र को राष्ट्रीय ध्वज में मान्यता दी गई। स्वतंत्रता के बाद तिरंगा भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जाना जाने लगा।

Read Also: हरियाणा में हमारी डबल इंजन की सरकार पिछड़ा वर्ग के लोगों को दे रही उनके अधिकार: CM सैनी

राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का महत्व

हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में जिन रंगों का प्रयोग किया गया है वह एक खास मकसद से किया गया है। हमारे ध्वज में सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो देश की ताकत, साहस और बलिदान का प्रतीक है। मध्य में सफेद रंग का प्रयोग किया गया है जो कि शांति और सत्य को दर्शाता है और मध्य में ही अशोक चक्र है जिसका नीला रंग आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता है। वहीं सबसे नीचे ध्वज का हरा रंग है जो देश की वृद्धि, सुख-समृद्धि और शुभता का प्रतीक होता है।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *