(प्रदीप कुमार): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 और 16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान में होंगे।यह शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के समरकंद में होगा।इस दौरान सबकी निगाहें पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात पर टिकी होंगी। उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के साथ द्विपक्षीय बैठक होने की संभावना है। ये बैठकें समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर होंगी।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पीएम मोदी एससीओ परिषद के राष्ट्र प्रमुखों की होने वाली 22वीं बैठक में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के निमंत्रण पर यह दौरा कर रहे है।शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी। ये बैठकें समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर होंगी।”
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शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री की अन्य द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी। उज्बेकिस्तान में भारतीय राजदूत मनीष प्रभात ने पहले ही कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई अन्य नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय बैठक करेंगे। राजदूत मनीष प्रभात ने न्यूज एजेंसी को बताया कि “कोविड महामारी के कारण एससीओ सदस्य देशों के नेता दो साल बाद मिल रहे हैं। एससीओ के इतर कुछ द्विपक्षीय बैठकें होंगी, लेकिन बैठकों के कार्यक्रम को नियत समय में अंतिम रूप दिया जाएगा।” उन्होंने बताया कि “एससीओ देशों के बीच आर्थिक सहयोग एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, जिस पर एससीओ की बैठकों में चर्चा की जाएगी। जब हम मध्य एशियाई देशों के साथ बैठक कर रहे होंगे, तो हम कनेक्टिविटी पर चर्चा करेंगे जो भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापार, निवेश और अन्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।”
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के भी शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है। उज्बेकिस्तान एससीओ 2022 का अध्यक्ष है और भारत एससीओ का अगला अध्यक्ष होगा। शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में शंघाई में की गई थी। वर्तमान में इस संगठन नें आठ देश- चीन, भारत, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। चार पर्यवेक्षक देश- अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं। छह देश- आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की संवाद भागीदार की भूमिका में हैं। पिछले साल एक पूर्ण सदस्य देश के रूप में ईरान को शामिल करने का फैसला लिया गया था। वहीं, नए संवाद भागीदार के रूप में यह फैसला मिस्र, कतर और सऊदी अरब के लिए लिया गया था।