पुलिस लाइन में जवान पुलिस शहीदों की याद में मनाया गया पुलिस स्मृति दिवस

Police memorial day, पुलिस लाइन में जवान पुलिस शहीदों की याद में मनाया गया.....

(राहुल सहजवानी): यमुनानगर जिला पुलिस की ओर से जगाधरी पुलिस लाइन में जवान पुलिस शहीदों की याद में पुलिस स्मृति दिवस मनाया गया। इस मौके पर मुख्यातिथि के तौर पर पहुंचे एसपी मोहित हांडा ने एक साल में शहीद हुए पुलिस के सभी 264 जवानों का नाम पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सबसे पहले पुलिस को गार्ड की ओर से शहीदों को सलामी दी गई। उसके बाद मुख्यातिथि ने शहीद स्मारक पर पुष्प-चक्र अर्पित कर शहीदों को नमन किया। शहीदों की याद में दो मिनट का मौन भी धारण किया गया। यमुनानगर के शहीद कॉस्टेबल राजबीर के परिवार को सम्मानित किया गया। वहीं इस स्मृति दिवस पर सेवा निवृत्त पुलिस अधिकारी और डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल के बच्चे भी शामिल हुए।

एसपी मोहित हांडा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हर वर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। ड्यूटी पर रहते हुए हमारे पुलिस जवान जो वीर गति को प्राप्त हुए। जिसमे सभी रैंक के अधिकारी एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, हेड कॉन्स्टेबल, कांस्टेबल शामिल हैं। आज उन सभी को याद कर श्रद्धांजलि दी गई है। पिछले एक साल में देश भर में 264 पुलिस के जवान शहीद हुए है। जिनमें हरियाणा पुलिस के एक डीएसपी और जवान है। आज के दिन का इतिहास है कि आज के दिन 1959 में हमारे सीआरपीएफ के जवानों की एक टुकड़ी हमारे सब इंस्पेक्टर कर्म सिंह के नेतृत्व में लद्दाख में लगभग 16 हज़ार फीट की ऊंचाई पर जब गश्त कर रही थी। चाइनीज फोर्स ने घात लगाकर हमारे जवानों पर हमला किया। हमारे जवानों ने चाइनीज फोर्सेस का पूरा मुकाबला किया। उसमें हमारे 10 जवान शहीद हुए थे। उन जवानों की शहादत को याद करने के लिए केंद्र स्तर पर यह निर्णय लिया गया की हर वर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाएगा। तब से लगातार पुलिस स्मृति दिवस मनाया जा रहा है।

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वहीं एसपी मोहित हांडा ने बताया कि इतिहास में शहीद हुए पुलिस जवानों में यमुनानगर के पुलिस जवानों का भी नाम है। उन्होंने कहा कि जहां तक पुलिस के जवानों की शहादत का सवाल है, 7 जवान जो कि यमुनानगर के रहने वाले हैं। जिनका पता यमुनानगर का है। उन्होंने प्रदेश में अलग-अलग जगह पर ड्यूटी करते हुए अपनी शहादत दी है। हम अगले एक हफ्ते में हम उन जवानों के गांव के अंदर एक कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

उस कार्यक्रम में जो शहीद के परिवार वाले हैं, उनको बुलाया जाएगा और उन शहीदों की शहादत को हम याद करेंगे। ताकि जो आने वाली पीढ़ियां है। उनको यह पता लगे कि उनके गांव में वीर सपूत ने जन्म लिया था और जो युवा पीढ़ी है वो वीर जवानों की शहादत गाथा से प्रेरणा ले सकें।

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