नई दिल्लीः राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने मंगलवार को विपक्ष द्वारा कृषि कानूनों पर दिए गए स्थगन नोटिस को खारिज कर दिया, जिसके विरोध में विपक्ष ने वॉकआउट किया।
सभापति ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत चल रही है और कल राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान इस मामले पर चर्चा की जा सकती है।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, द्रमुक के टी. शिवा, बहुजन समाज पार्टी के अशोक सिद्दार्थ, माकपा के ई. करीम द्वारा नोटिस दिए गए हैं। विपक्ष ने राज्यसभा के नियम 267 के तहत नोटिस दिया।
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मामला गंभीर है और किसान महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, इसलिए इस मामले पर चर्चा होनी चाहिए। यही बात बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने भी कही थी।
विपक्ष ने राज्यसभा के कामकाज को स्थगित करने और कृषि कानूनों को निरस्त करने की भी मांग की है। इससे पहले, शुक्रवार को 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया था।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को कहा था, ‘बहिष्कार का एकमात्र मुद्दा कृषि कानून हैं। इससे पहले, विपक्षी दलों के एक संयुक्त बयान में कहा गया था कि भारत के किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ रहे हैं, जो मनमाने ढंग से भाजपा सरकार द्वारा लागू किए गए हैं।
ये कानून भारतीय कृषि के भविष्य को खतरे में डालते हैं जो भारत की 60 प्रतिशत आबादी है और यह किसानों, बटाईदारों और खेत मजदूरों की करोड़ों की आजीविका है।
हालांकि, शनिवार को संसद के बजट सत्र से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक टालने के लिए तैयार है।
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