चरखी दादरी (प्रदीप साहू): शहीद की बेटी पूजा सांगवान ने जिद से अपना सपना पूरा किया और राष्ट्रीय रोइंग चैंपियनशिप में दो सिल्वर मेडल जीतकर अपना सपना पूरा किया। बेटी के अपने गांव मंदोला में ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटकर खुशी जताई। पूजा दो बार एशियन गेम्स में भारत की टीम का बतौर कप्तान नेतृत्व कर चुकी है। उसने अब तक राष्ट्रीय स्तर पर दो गोल्ड के साथ दस सिल्वर व दो कांस्य पदक जीते हैं। अपनी इस खुशी पर पूजा ने अपने शहीद पिता को सभी मेडल समर्पित करते हुए उनसे प्रेरणा लेकर देश का विदेशों में तिरंगा लहराने का संकल्प लिया है।
बता दें कि गांव मंदोला निवासी पूजा के पिता अमरचंद बीएसएफ में नौकरी करते थे। वर्ष 2002 में कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। वह भी अपने समय के अच्छे एथलीट थे। पिता का साया उठने के बाद मां अंजूबाला व परिजनों ने बेटी पूजा को देश का नाम ऊंचा करने के लिए प्रेरित किया। पूजा ने वर्ष 2014 में खेलना शुरू किया था और अब तक दो गोल्ड दस सिल्वर व दो ब्राउन मेडल जीत चुकी है। वर्ष 2015 में चाइना में आयोजित प्रतियोगिता में पूजा आठवें स्थान पर रही थी। वहीं वर्ष 2018 में इंडोनेशिया में आयोजित एशियन गेम में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए पूजा ने छठां स्थान प्राप्त किया था। इसी वर्ष पूजा ने नेशनल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था। अब अहमदाबाद में हुई नेशनल रोइंग चैंपियनशीप में दो सिल्वर मेडल जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
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पूजा की दादी शांति देवी ने बताया कि पोती ने मेडल जीतकर देश का नाम ऊंचा किया है। पिता का साया उठने के बाद भी पूजा ने हिम्मत नहीं हारी और खेलों में नाम कमाया है। सरपंच प्रतिनिधि संजीव मंदोला ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। सरकार को ऐसी प्रतिभाओं के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। बिना किसी सहायता के गांव की बेटी ने नेशनल स्तर पर दो सिल्वर जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। वहीं पूजा ने बताया कि उसका सपना नेशनल स्तर पर गोल्ड जीतना था, शहीद पिता व परिजनों से प्रेरणा लेकर सपना पूरा किया है। उसकी बचपन से ही खेलों में रुचि रही है। अब उसका संकल्प देश का विदेशों में तिरंगा लहराने का है।