(प्रदीप कुमार )- Randeep Singh Surjewala- कांग्रेस ने आपराधिक कानूनों की जगह लेने के लिए पेश तीन विधेयकों पर व्यापक विचार विमर्श का कांग्रेस का आह्वान किया है। कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा आपराधिक कानून में बिना चर्चा बदलाव के लिए संसद में लाए गए तीन विधेयकों पर सवाल खड़े करते हुए कहा की ऐसे विचार विमर्श से ‘‘आपराधिक कानून के समस्त ढांचे को ध्वस्त होने’’ से बचाया जा सकता है.. Randeep Singh Surjewala
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद एवं महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि 11 अगस्त को, बिना किसी पूर्व सूचना या सार्वजनिक परामर्श अथवा कानूनी विशेषज्ञों, न्यायविदों, अपराध विज्ञानियों और अन्य हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए बिना, मोदी सरकार ने अपने ‘पिटारे’ से तीन विधेयक पेश किए। सरकार ने ऐसा करके देश के पूरे आपराधिक कानून के ढांचे को गुपचुप और अपारदर्शी तरीके से पुनर्गठित किया।
विधेयकों पर न्यायाधीशों, वकीलों, न्यायविदों, अपराध शास्त्रियों, सुधारकों, हितधारकों और आम जनता को शामिल करते हुए विचार-विमर्श की मांग करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि जनता या हितधारकों के सुझावों और समझ से दूर एक गुप्त कवायद से केवल कुछ श्रेय लिया जा सकता है, लेकिन इससे देश के आपराधिक कानून के ढांचे में सुधार के सार्वजनिक उद्देश्य को पूरा नहीं किया जा सकता।
सुरजेवाला ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिल को पेश करते हुए इस पर अपनी टिप्पणी की थी, जिसे देखकर लगता है कि वह खुद पूरी प्रक्रिया से बाहर और अनभिज्ञ हैं। तथ्यों का बिंदुवार हवाला देते हुए सुरजेवाला ने एक विस्तृत विश्लेषण में, विधेयकों के माध्यम से किये गये परिवर्तनों पर शाह की टिप्पणी का प्रतिवाद किया और प्रावधानों पर अमित शाह की टिप्पणियों को गुमराह करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने झूठ बोला और सदन को गुमराह किया।
सुरजेवाला ने कहा कि भले ही विधेयकों को संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया है, लेकिन विधेयकों और उनके प्रावधानों को न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, न्यायविदों, अपराध विज्ञानियों, सुधारवादियों, हितधारकों और आम जनता द्वारा व्यापक सार्वजनिक बहस के लिए खुला रखा जाना चाहिए, ताकि बिना चर्चा के पूरे आपराधिक कानूनी ढांचे को ध्वस्त करने के जाल से बचा जा सके, जो भाजपा सरकार के डीएनए में रच बस गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री पर तंज कसते हुए सुरजेवाला ने कहा कि अमित शाह को हिंदी की कहावत “नीम हकीम, खतराए जान” और “नादान आदमी कुछ काम किया कर, सिर्फ़ कपड़े उधेड़ कर ना सिया कर” याद रखना चाहिए थी।
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