RBI ‘मूकदर्शक’ है, जो बैंकों को ऊंची ब्याज दर वसूलने की इजाजत दे रहा है-इलाहाबाद हाईकोर्ट

Reserve Bank of India- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक मूकदर्शक बना हुआ है जबकि बैंकिंग रेगुलेटर की तरफ से जारी गाइडलाइंस के बावजूद बैंक अपने ग्राहकों से ऊंची ब्याज दर वसूल कर रहे हैं।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने मनमीत सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए ये टिप्पणी की।कोर्ट ने कहा, आश्चर्य है कि आरबीआई गाइडलाइंस जारी करता रहा है, लेकिन इसे लागू करने के लिए उसने कुछ नहीं किया। बैंकों को मनमाने ढंग से बहुत ऊंची ब्याज दर वसूलने की अनुमति देकर वे महज एक मूक दर्शक बने रहे।

देश में बैंकिंग रेगुलेटर के तौर पर आरबीआई की जिम्मेदारी पर चर्चा करते हुए अदालत ने कहा, “भले ही इन बैंकों को संदेह का फायदा दिया जाता है कि वे ब्याज दर लगाने के लिए मुक्त हैं, लेकिन ये देखना आरबीआई की जिम्मेदारी है कि ग्राहकों पर ऊंची दर से ब्याज लगाकर उन्हें परेशानी में ना डाला जाये।मामले के तथ्यों के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने सालाना 12.5 प्रतिशत की परिवर्तनशील ब्याज दर पर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से नौ लाख रुपये लोन लिया था।

लोन की पूरी रकम चुकाने के बाद उन्होंने बैंक से “कोई बकाया नहीं का प्रमाण पत्र” और बैंक में जमा संपत्ति दस्तावेज वापस करने के लिए अनुरोध किया जो उन्हें उपलब्ध करा दिया गया।बाद में, लोेन अकाउंट बंद करने के दौरान याचिकाकर्ता को पता चला कि अनाधिकृत रूप से उनके खाते से 27 लाख रुपये काट लिए गए जबकि सालाना 12.5 प्रतिशत ब्याज दर से भुगतान की जाने वाली राशि 17 लाख रुपये से थोड़ी ज्यादा बनती थी। इसलिए उन्होंने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक को इसकी शिकायत की।याचिकाकर्ता ने आरबीआई के बैंकिंग लोकपाल से इसका समाधान निकालने के लिए संपर्क किया।हालांकि, उसे बैंक के जवाब की कॉपी उपलब्ध कराए बगैर उसकी शिकायत निस्तारित कर दी गई।

Read also – जिला कोर्ट ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को देने पर आज सुना सकता है फैसला

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के लोन पर 16-18 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूला गया, जबकि याचिकाकर्ता ने 12.5 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करने की सहमति दी थी।कोर्ट ने कहा, “बैंक ये कहकर अपने मनमाने तरीके पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है कि याचिकाकर्ता ने फ्लोटिंग ब्याज दर पर भुगतान करने की लोन समझौते में सहमति दी थी और आरबीआई ने बैंकों को बाजार हालातों के आधार पर ब्याज वसूलने की इजाजत दी है।

अदालत ने आगे कहा याचिकाकर्ता को इसके बारे में जानकारी नहीं दी गई और इस वजह से उसने बैंक की फ्लोटिंग ब्याज दर को स्वीकार नहीं किया। आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक, ग्राहकों को नोटिस दिए बगैर और उसकी सहमति के बगैर ब्याज दर में किसी भी तरह के बदलाव को उस पर लागू नहीं किया जा सकता।अदालत ने इस मुद्दे को वापस बैंकिंग लोकपाल के पास भेजकर उस पर नए सिरे से फैसला करने का आदेश दिया।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *