Bihar News: बिहार में नई सरकार के विश्वास मत हासिल करने की हलचल के बीच विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर राजनीति गर्म हो गई है।आरजेडी सांसद मनोज झा ने रविवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले के अनुसार ये साफ है कि स्पीकर को हटाने के लिए आपको विधानसभा के कुल सदस्यों के आधे वोटों की जरूरत है।उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताव को पारित करने के लिए 243 सदस्यों में से आपको 122 वोटों की जरूरत होगी।झा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 179 में अध्यक्ष को हटाने के प्रावधानों का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि विधानसभा के सदस्य प्रस्ताव लाकर अध्यक्ष को हटा सकते हैं।
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बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को सत्तारूढ़ एनडीए के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना होगा।अवध बिहारी चौधरी आरजेडी से हैं।दो सप्ताह पहले एनडीए सरकार ने चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।चौधरी ने अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ने से इनकार कर दिया है, जिससे एनडीए खेमे में घबराहट है, जिसके पास मामूली बहुमत है।
मनोज झा, सांसद, आरजेडी: देखिए ये कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया है। इसके आर्टिकल के 179 में स्पीकर को हटाने की व्यवस्था का उल्लेख है। इसमें ये कहते हैं कि उन्हें हटाया जा सकता है, रिजोल्यूशन जो आज का है असेंबली के मेजोरिटी ऑफ मेंबर के दम पर। ठीक है। अब इसका इंटरप्रेटेशन आपको बताता हूं। ये सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है। ये महाराष्ट्र का मामला है। ध्यान से देखिए। और ये नबाम रेबिया
अरुणाचल का पूरा का पूरा मामला है। नबाम रेबिया अरुणाचल का। मैं आपको चाहूंगा, आपके माध्यम से कि तमाम स्टेक होल्डर जो कल से इस विधायी महत्वपूर्ण पहलू पर फैसला लेंगे। चाहे कोई हो स्पीकर साहब हो, सीएम साहब हों, उनसे एडवाजर हों। ये दोनों फैसले पढ़ें। उस फैसले में सबसे पहले अरुणाचल में बताता हूं कि स्पीकर को हटाने के लिए कितनी संख्या चाहिए। एक्चुअल मेंबर ऑफ द असेंबली, रहने वाले और वोट करने वाले नहीं यानि एक्चुअल मेंबर। 243 में 122 चाहिए स्पीकर को हटाने के लिए। ये मैं नहीं कह रहा हूं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने नवम रेविया वाले मामले में सात जजों की बेंच ने ये बात कही है।”