नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, दूसरा नवरात्र ब्रह्मचारिणी को है समर्पित

(आकाश शर्मा)- Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता के इस अवतार का अर्थ तप का आचरण करने वाली देवी होता है। इनके हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। शास्त्रों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने उनके पूर्वजन्म में हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। यही कारण है कि इनका नाम ब्रह्मचारिणी कहा गया है।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

जब मां ब्रह्मचारिणी देवी ने हिमालय के घर जन्म लिया था, तब नारदजी ने उन्हें उपदेश दिया था और उसके बाद से ही वो शिवजी को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। देवी ने तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए थे। वे हर दुख सहकर भी शंकर जी की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। फिर कई हजार वर्षों तक उन्होंने निर्जल व निराहार रहकर तपस्या की।… Shardiya Navratri 2023

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जब उन्होंने पत्तों को खाना छोड़ा तो उनका नाम अपर्णा पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीर्ण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताकर सराहना की। उन्होंने कहा कि हे देवी आपकी तपस्या जरूर सफल होगी। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। मां की आराधना करने वाले व्यक्ति का कठिन संघर्षों के समय में भी मन विचलित नहीं होता है।

मंत्र मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में इन मंत्रों का करें उच्चारण

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू. देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा.. ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

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