Social Media: आजकल के बच्चे सोशल मीडिया के अधिक संपर्क में हैं, जो उनके मस्तिष्क विकास पर प्रभाव डाल सकता है। सोशल मीडिया पर देखी जाने वाली नकारात्मकता और आक्रामकता बच्चों के व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। सोशल मीडिया का उपयोग आजकल की जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। लेकिन इसके साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि हम इसके प्रभावों को समझें और अपने बच्चों को इसके खतरों से सावधान रखें।
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जी हां, सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों की क्रिएटिविटी और याददाश्त कमजोर होती जा रही है। विज्ञान की मानें तो हमारे आसपास होने वाली हर छोटी-बड़ी बात हमारे दिमाग पर प्रभाव डालती है। जब हमारा वॉयलेंस सोशल मीडिया, स्क्रीन या किसी भी वर्चुअल दुनिया में दिखता है, तो हमारे वॉयलेंस होने की संभावना बढ़ जाती है। यह बच्चों पर सबसे अधिक प्रभावी होता है क्योंकि उनका दिमाग इस सामग्री को समझने के लिए अभी तैयार नहीं है। इसके अलावा, बचपन का वातावरण उनके व्यवहार पर सीधा असर डालता है।
कम उम्र में ही इंटरनेट, अश्लील कंटेंट, सोशल मीडिया का अगर बच्चों की क्रिएटिविटी पर असर डालती हैं। सोशल मीडिया पर देखी जाने वाली चीजें बच्चों की सोच को सीमित कर सकती है। यह उनकी क्रिएटिविटी को कम कर सकता है और उन्हें नए विचारों को सोचने से रोक सकता है। साथ ही सोशल मीडिया पर देखी जाने वाली चीजें बच्चों को नकल करने के लिए प्रेरित कर सकती है और उन्हें अपने खुद के विचारों को विकसित करने से रोक सकता है।
इसके अलावा सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बच्चों की स्मृति क्षमता में कमी आ सकती है। यह उनकी याददाश्त को कमजोर कर सकता है और उन्हें नई जानकारी को याद रखने में मुश्किल हो सकती है। साथ ही सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल हो सकती है। यह उनकी याददाश्त को कमजोर कर सकता है और उन्हें नई जानकारी को याद रखने में मुश्किल हो सकती है।
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इसके लिए बहुत जरुरी है कि माता-पिता और अभिभावकों को बच्चों के सोशल मीडिया के उपयोग पर निगरानी रखनी चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से कर रहे हैं। साथ ही माता-पिता और अभिभावकों को सोशल मीडिया के उपयोग के नियम बनाने चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग निर्धारित समय और सीमा के भीतर कर रहे हैं। इसके अलावा बच्चों को सोशल मीडिया के खतरों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। उन्हें यह सिखाना चाहिए कि सोशल मीडिया का उपयोग कैसे सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से किया जा सकता है।