(अंशिका राणा)-Oxford University Study-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्लीप एंड सर्केडियन न्यूरोसाइंस इंस्टीट्यूट के चीफ रसेल फोस्टर कहते है कि कुछ लोग रोज सुबह समय से उठने के लिए अलार्म सेट करते है, पर कुछ अलार्म बजने से पहले ही उठ जाते है। इसका अनुभव कई लोग कर चुके है और यह सामान्य है। मगर इसका अभी तक यह नहीं पता लगा कि ऐसा क्यों होता है। इस विषय पर अमेरिकी शोधकर्ताओं ने आयावो और मिनेसोटा राज्य के लोगों से चर्चा की। जिनमें से 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे कभी-कभी अलार्म से पहले उठ जाते है, जबकि 25 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें आश्वस्त होने के कारण अलार्म की जरूरत नहीं पड़ती ।
बायोलॉजिकल क्लॉक जरूरी
शोधकर्ताओं का कहना है कि शरीर ऐसा क्यों करता है इसके बारे में कोई नहीं जानता, मगर हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक इससे संबंध आवश्य रखती है जो समय का हिसाब रखती है। यूनिवर्सिटी के न्यूरो बायोलॉजिस्ट डॉ. रवि अल्लाडा ने कहा दिमाग में ऑप्टिक नर्वस् के ठीक ऊपर एक मास्टर घड़ी होता है, जिसे सुप्राचैस्मैटिक न्यूक्लियस कहते है। यह घड़ी सर्केडियम रिदम को कोऑर्डिनेट करती है, जो हमें दिन के अलग-अलग समय में होने वाली चीजों के लिए तैयार करने में सहायता करती है जैसे रात में सोना और सुबह उठना।
अहम कोशिकाएं करती है अलर्ट
डॉ. फास्टर कहते है कि हमारी आंखों में ऐसी कोशिकाएं होती है जो प्रकाश के बदलते स्तर का पता लगाती है, जैसे सुबह से ठीक पहले, सुबह में और सोने तक यहीं प्रक्रिया चलती है। ये कोशिकाएं एकदम ठीक समय तो नहीं बताती, पर हम उठने के समय के करीब पहुंच रहे है ये बता सकती है। इससे शरीर में बदलाव शुरू होते जिससे कॉर्टिसोल, एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिन हॉर्मोन स्तर और बीपी बढ़ने का रिजल्ट आता है जो गतिविधि के लिए तैयार करने में सहायता करती है।
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खुद पर दबाव न डालें
एक्सपर्ट्स का मानना है कि कई बार ट्रैवल और काम की वजह से सर्केडियम रिदम खराब हो सकती है। ऐसा होने पर दोबारा सोने के लिए खुद पर दबाव न डाले। समय से पहले नींद खुलने पर बेड से उठ जाएं और इस स्थिति में नींद आने की संभावना ज्यादा रहती है। दोबारा सोने के लिए खुद को व्यस्त करें मगर मोबाइल फ़ोन न देखें। नींद आने पर दोबारा सो जाएं।