Supreme Court Allahabad high court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बलात्कार के एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की हाल की टिप्पणी पर आपत्ति जताई, जिसमें कथित तौर पर कहा गया था कि शिकायतकर्ता ने “खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया” और आश्चर्य जताया कि जमानत याचिका पर फैसला करते समय उसने ऐसी टिप्पणी क्यों की।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में बलात्कार के मामले में जमानत देते हुए कहा कि शिकायतकर्ता ने शराब पीकर आवेदक के घर जाने के लिए सहमत होकर “खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया।
Read also- बिहार को लेकर कांग्रेस-आरजेडी के शीर्ष नेतृत्व के बीच दिल्ली में हुई बड़ी बैठक
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई जब वह इलाहाबाद हाई कोर्ट की 17 मार्च के फैसले पर सुनवाई कर रहा था। उस फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि स्तनों को पकड़ना और महिला के “पजामा” या लोअर की डोरी खींचना बलात्कार के प्रयास के अपराध के बराबर नहीं है।जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा “उसी हाई कोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश ने एक और आदेश पारित किया है।न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि यदि कोई जमानत देना चाहता है तो ठीक है, लेकिन ऐसी टिप्पणियां क्यों की गईं कि उसने मुसीबत को आमंत्रित किया और इस तरह की अन्य बातें।
26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के प्रयास के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 17 मार्च के आदेश पर रोक लगा दी, जिसका अर्थ था कि वर्तमान अभियुक्तों या अन्य द्वारा राहत पाने के लिए किसी भी न्यायिक कार्यवाही में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता।शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि आदेश में की गई कुछ टिप्पणियाँ पूरी तरह से “असंवेदनशीलता” और “अमानवीय दृष्टिकोण” को दर्शाती हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के संज्ञान में लाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था।
Read also- Waqf Board: भारत ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर पाकिस्तान की टिप्पणियों को किया खारिज
हाई कोर्ट के 17 मार्च के आदेश में कहा गया था कि अभियुक्तों के खिलाफ बलात्कार के प्रयास का अपराध नहीं बनता है और उन्हें महिला पर हमला करने या उसके कपड़े उतारने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग करने के कमतर अपराध के तहत सजा सुनाई जा सकती है।हाई कोर्ट का आदेश अभियुक्तों द्वारा कासगंज के एक विशेष न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया था, जिसके माध्यम से उन्हें अन्य धाराओं के अलावा आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत केस दर्ज किया गया था