सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को आदेश, उचित मूल्य पर कोरोना मरीजों को मिले एंबुलेंस

नई दिल्ली (विनय सिंह की रिपोर्ट)– कोरोनावायरस के मरीजों को एंबुलेंस सेवा के लिए ज्यादा शुल्क मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए सभी राज्यों को एंबुलेंस सेवाओं के लिए एक उचित मूल्य तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का पालन सभी राज्यों को करना चाहिए और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए हर जिले में एंबुलेंस की संख्या पर्याप्त हो।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महामारी से निपटने के लिए राज्यों को केंद्र द्वारा जारी सलाह को मानना होगा। पहले केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को कोविड-19 टेस्ट के लिए शुल्क तय करने के लिए कहा था हालांकि देश के प्राइवेट अस्पतालों द्वारा कोविड टेस्ट के शुल्क को एक बराबर नहीं किया गया।

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मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस बाबत एक हलफनामा दायर किया गया है और SOP जारी की गई है, हलफनामे में कहा गया है की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना तैयार की है। अदालत ने कहा कि कोविड के मरीजों के ट्रांसपोर्ट के लिए भी SOP को निर्धारित किया जाए।

राहत की उम्मीद !

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कोरोना संक्रमितों को राहत मिलने की उम्मीद है। क्योंकि अब तक मरीजों से एंबुलेंस अपनी मर्जी के हिसाब से शुल्क वसूल रही थीं। ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिसके मुताबिक कोरोना संक्रमित रोगियों से थोड़ी दूरी बनाने के लिए हजारों रुपए वसूले जाते हैं। हालही में पुणे में एक एसा ही मामला सामने आया था, जिसमें जिला प्रशासन ने एक एंबुलेंस सेवा प्रदाता के खिलाफ केस दर्ज किया था। आरोप था कि 25 जून को एक कोविड-19 मरीज से सात किलो मीटर की दूरी के लिए एंबुलेंस ने 8 हजार रुपए वसूले थे।

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