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मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस बाबत एक हलफनामा दायर किया गया है और SOP जारी की गई है, हलफनामे में कहा गया है की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना तैयार की है। अदालत ने कहा कि कोविड के मरीजों के ट्रांसपोर्ट के लिए भी SOP को निर्धारित किया जाए।
राहत की उम्मीद !
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कोरोना संक्रमितों को राहत मिलने की उम्मीद है। क्योंकि अब तक मरीजों से एंबुलेंस अपनी मर्जी के हिसाब से शुल्क वसूल रही थीं। ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिसके मुताबिक कोरोना संक्रमित रोगियों से थोड़ी दूरी बनाने के लिए हजारों रुपए वसूले जाते हैं। हालही में पुणे में एक एसा ही मामला सामने आया था, जिसमें जिला प्रशासन ने एक एंबुलेंस सेवा प्रदाता के खिलाफ केस दर्ज किया था। आरोप था कि 25 जून को एक कोविड-19 मरीज से सात किलो मीटर की दूरी के लिए एंबुलेंस ने 8 हजार रुपए वसूले थे।