अमन पांडेय : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का साथ छोड़ कर सपा का दामन थामने वाले स्वमी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस को दलित विरोधी बताते हुए बैन करने की मांग की है। स्वामी प्रसाद पहली बार अपने बयानों की वजह से चर्चा में नहीं आए हैं। इससे पहले भी उन्होंने कई सारे बयान ऐसे दिए जो अमर्यादित और हिंदू धर्म के विरोध में रहें हैं।
रामचरितमानस को बताया बकवास
स्वामी प्रसाद ने कहा था धर्म कोई भी हो हम उसका सम्मान करते है। लेकिन धर्म के नाम पर जाति विशेष को अपमानित करने का काम किया गया है। हम उस पर आपत्ती दर्ज कराते हैं। रामचरितमानस में चौपाई लिखी है, जिसमें तुलसीदास शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहें हैं। ब्राम्हण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राम्हण है तो उसे पूजनीय बताया गया है,लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान हो, उसका सम्मान मत करिए। उनहोंने सवाल उठाया कि क्या धर्म यही है? अगर यही धर्म हैतो ऐसे धर्म को मैं नम्सकार करता हूं। ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो।
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गौरी गणेश की पूजा पर खड़े किए सवाल
2014 में में कर्पूरी ठाकुर भागीदारी महासम्मेलन में गौरी गणेश की पूजा करने पर सवाल उठाया था उन्होंने दलितों से अपील करते हुए कहा था कि शादी ब्याह में गौरी गणेस की पूजा न करें। मनुवादी व्यवस्था में दलितों और पिछड़ो को गुमराह कर उन्हें शासक से गुलाम बनाने की चाल है। इताना ही नहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, मनुवादी लोग सूवर को वाराह भगवान कहकर सम्मान दे सकते हैं। गधे को भवानी, उल्लू को लक्ष्मी और चूहे को गणेश की सवारी कहकर पूज सकते हैं लेकिन शूद्र को सम्मान नहीं दे सकते।
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