अडानी हिंडनबर्ग मामले की जांच और शेयर बाजार के कामकाज में बेहतरी पर सुझाव देने के कमेटी बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

(अवैस उस्मानी): अडानी हिंडनबर्ग मामले की जांच और शेयर बाजार के कामकाज में बेहतरी पर सुझाव देने के कमेटी बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट सरकार या किसी याचिकाकर्ता की तरफ से सुझाए गए नामों पर विचार नहीं करेगा, वह अपनी तरफ से विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाएगी, आज सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सेबी की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सीलबंद लिफाफे में कमेटी सदस्यों के नाम कोर्ट को सुझाए हालाकिं सुप्रीम कोर्ट ने इसको स्वीकार करने से मना कर दिया।

अडानी हिंडनबर्ग मामले की जांच और शेयर बाजार के कामकाज में बेहतरी पर सुझाव देने और अडानी के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारडीवाला की पीठ ने सुनवाई किया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई की शुरुआत में सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सीलबंद लिफाफे में कमेटी सदस्यों के नाम कोर्ट को सुझाए, लेकिन जजों ने सीलबंद लिफाफे में दिये गये नामो और सुझाव को स्वीकार करने से मना कर दिया। CJI ने कहा कि सुझाव सीलबंद लिफाफे में दिया गया है, यह नाम याचिकाकर्ताओं को बता कर उनकी राय लेना जरूरी है, ऐसा नहीं करना पारदर्शिता का अभाव माना जाएगा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि पूरी प्रक्रिया पर लोग भरोसा करें, इसलिए हम खुद ही कमेटी का गठन करेंगे।

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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 4 याचिकाओं में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आधार पर अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच की मांग की, याचिका में अडानी के शेयर बढ़ी हुई कीमत पर खरीदने के लिए LIC की जांच जैसी मांग की गई साथ एक याचिका में शॉर्ट सेलिंग के जरिए भारतीय निवेशकों को नुकसान पहुंचाने के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ जांच की मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिकाएं वकीलों विशाल तिवारी और मनोहर लाल शर्मा के अलावा अनामिका जायसवाल और कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दाखिल की थी।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई, साथ कि याचिका में सुप्रीम कोर्ट नके मौजूदा जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की गई। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने संकेत दिया कि इसके लिए किसी पूर्व जज को नियुक्त किया जाएगा। याचिकाकर्ता अनामिका जायसवाल के लिए पेश वकील प्रशांत भूषण ने अपनी तरफ से पूर्व जज का नाम सुझाने की कोशिश की लेकिन कोर्ट ने उनके सुझाव लेने से भी मना कर दिया।

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