Parliament Security Breach Case: शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मंगलवार को कहा कि संविधान और लोकतंत्र को हर चीज से ऊपर रखा जाना चाहिए और बेरोजगारी और महंगाई जैसे गंभीर मुद्दों को जनता के बीच उठाना चाहिए और तानाशाही के खिलाफ लड़ना चाहिए। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और विपक्षी गुट ‘इंडिया’ के सभी दलों को साथ लाना उसकी जिम्मेदारी है।सांसदों के निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि जब 2014 से 2024 तक का इतिहास लिखा जाएगा तो वो काला इतिहास होगा। लेकिन उस काले इतिहास में तानाशाही के खिलाफ लड़ने वालों का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। संसद की सुरक्षा में सेंध को लेकर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जो लोग संसद की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते, वो बॉर्डर की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेंगे।
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बिलकुल हर अलायंस में गिव एंड टेक होता है। 10 कदम आप बढ़ते हैं, 5 कदम आपका पार्टनर बढ़ता हैं। हर अलायंस में अलग-अलग विचारधारा मिल कर आगे का काम करते है। हमारा विचार ये है कि देश को आगे बढ़ाना है देश के प्रजातंत्र और संविधान को सब से ऊपर रख कर हमें जनता के बीच जाकर उनका महंगाई का मुद्दा हो, बेरोजगारी का मुद्दा हो, महिला सुरक्षा का मुद्दा हो, या किसानों का मुद्दा हो, हर मुद्दे पर हमें जो है जनता की आवाज और मजबूत करनी है। और इस तानाशाही के खिलाफ़ लड़ना है। क्योंकि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है तो उनकी जिम्मेदारी और बढ़ती है की अलायंस को साथ में लेकर चले और व्यापक चर्चा जो इंडिया समिट मे होगी उसकी हम पूरी उम्मीद रखते हैं।
आज होने वाली इंडिया ब्लॉक बैठक का एजेंडा क्या होगा? देखिये जिस तरह से पार्लियामेंट में सस्पेंशन हुआ है जिस वॉल्यूम में हुआ है, जिस तादाद में हुआ है, इतिहास में पहली बार हुआ है। इतिहास जब 2014 और 2024 के बीच का लिखा जाएगा वो काला इतिहास होगा। और उस काले इतिहास में जो लोग डट कर खड़े रहे, जिन्होंने लड़ाई लड़ी तानाशाही के खिलाफ। उनके नाम स्वर्ण अक्षरो में लिखे जायेंगे और ये जो 92 सांसद है वो इसमें शामिल है तो इंडिया समिट की मीटिंग और भी ज़रूरी हो जाती है क्योंकि अब हमारी ज़िम्मेदारी है कि जनता के बीच जा कर उनको ये बताएं। आज ये हमारे साथ हो रहा है कल आपके साथ होगा। जो अपने पार्लियामेंट की ही सुरक्षा नहीं कर सकते है वो देश के
बॉर्डर की क्या सुरक्षा करेंगे। आपको सुरक्षित कैसे महसूसे करा सकते हैं अगर प्रधानमंत्री और खुद गृह मंत्री उसकी जवाबदेही नहीं ले रहे हैं।
(Source PTI)