( प्रदीप कुमार )- DGCA के एक वरिष्ठ अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे है। DGCA के इस शीर्ष अधिकारी पर आरोप है कि इसने कथित घूस के रूप में फ्लाइंग स्कूलों से रिश्वत के रूप में तीन विमान लिए हैं, जिन्हें उनके रिश्तेदारों की कंपनी के जरिए लीज पर दिया गया। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच शुरू हो गई है।
देश के नागरिक उड्डयन नियामक DGCA के उड़ान स्कूलों को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार एक वरिष्ठ अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे है। एक व्हिसिलब्लोअर पत्र के मुताबिक DGCA के उड़ान और प्रशिक्षण प्रभाग के निदेशक अनिल गिल ने अपने पद का उपयोग करते हुए उड़ान स्कूलों से रिश्वत के रूप में तीन विमान लिए और बदले में प्रत्येक विमान को 90 लाख रुपये के मासिक लीज किराये पर अलग-अलग स्कूलों को पट्टे पर दे दिया।
पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की इस शिकायत के बाद DGCA ने गिल को उनके पद से स्थानांतरित कर दिया है और DGCA की सतर्कता शाखा द्वारा उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। दरअसल देश के फ्लाइंग स्कूल में पिछले कुछ वर्षों में दुर्घटनाओं का एक सिलसिला देखने को मिला हैं। सबसे बड़े फ्लाइंग स्कूल में एक रेडबर्ड एविएशन के पांच विमान पिछले छह महीने में इंजन की खराबी के कारण क्रैश लैंडिंग कर चुके हैं। बाद में जांच में पाया गया कि विमानों का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया था और प्रशिक्षक DGCA के महत्वपूर्ण सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।
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इसके बाद कंपनी के रिकॉर्ड की जांच से पता चला कि ब्लू थ्रोट एविएशन और सेबर्स कॉरपोरेट सॉल्यूशंस लिमिटेड नामक दो कंपनियां, जिनमें गिल के रिश्तेदार निदेशक हैं, ने रेडबर्ड एविएशन को कम से कम दो विमान पट्टे पर दिए हैं। ये विमान VT-EUC, VT-AAY सेसना विमान हैं जो उड़ान प्रशिक्षण स्कूलों के बीच लोकप्रिय हैं।एक रिपार्ट के मुताबिक इन कंपनियों की बैलेंस शीट की समीक्षा की है जिसमें इन विमानों को उनकी संपत्ति के रूप में दिखाया गया है।विमान के पंजीकरण का प्रमाणपत्र उड़ान स्कूलों को इन विमानों के बाद के पट्टे को दर्शाता है।
जानकारी के मुताबिक पिछले साल जब DGCA ने कई दुर्घटनाओं के बाद भारत के सभी उड़ान प्रशिक्षण स्कूलों का ऑडिट किया था, तो गिल इस प्रक्रिया के प्रभारी थे। सूत्रों के मुताबिक इस ऑडिट के दौरान कुछ खामियों की ओर इशारा किया जाता और स्कूलों को ब्लैकमेल किया जाता कि उन्हें बंद कर दिया जायेगा और फिर उन्हें प्रशिक्षण विमान अपने रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली कंपनियों को मामूली कीमत पर बेचने के लिए मजबूर किया जाता फिर इन खामियों को नज़रअंदाज करने सहित एहसान के बदले में विमान को किसी अन्य प्रशिक्षण स्कूल को पट्टे पर दे दिया जाता।
रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2019 में DGCA ने अपने अधिकारियों को उन कंपनियों का ऑडिट या जांच नहीं करने का निर्देश भी दिया था जहां हितों का टकराव हो। एक अखबार की रिपोर्ट के बाद ये तमाम नई जानकारी सामने आयी है।रिपोर्ट के मुताबिक इन आरोपों के बाद अनिल गिल ने बताया कि उनकी भाभी एक कंपनी में निदेशक थीं, लेकिन उन्होंने 2019 में इस्तीफा दे दिया था।गिल के मुताबिक मैंने अपने परिवार के रिश्तेदारों के किसी भी तरह के विमानन कारोबार में शामिल होने की जानकारी DGCA को दे दी है।
हालांकि,DGCA के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक चूंकि यह एक वित्तीय धोखाधड़ी थी, नियामक के पास जांच करने की क्षमता नहीं हो सकती है ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय को मामला सौंपा जा रहा है।