( अवैस उस्मानी )- आम आदमी पार्टी से सांसद राघव चड्ढा के राज्यसभा से निलंबन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि विशेषाधिकार कमेटी के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह इस पर विचार करेगा कि अनिश्चित काल तक राज्यसभा से राघव चड्ढा का निलंबन सही है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और राघव चड्ढा के वकील से लिखित दलीलें जमा करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राघव चड्ढा के वकील ने कहा कि वह राज्यसभा सभापति और कोर्ट दोनों के सामने माफी मांगने को तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामले की 3 नवंबर को अगली सुनवाई होगी।
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राघव चड्ढा की याचिका पर सुनवाई के दौरान आटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता, यह पार्लियामेंट के अधिकार क्षेत्र में आता है। चड्ढा के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि राघव चड्ढा 60 दिन तक अगर हाउस में नहीं गए तो सीट खाली घोषित हो सकती है। राघव चड्ढा के वकील ने कहा ऐसे में कैसे अनिश्चित काल तक सांसद को सस्पेंड किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने AAP सांसद राघव चड्ढा के राज्यसभा से निलबंन पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 75 दिन पहले ही गुजर चुके है, अनिश्चित काल तक निलबंन चिन्ता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा राघव चड्डा सदन में विपक्ष की आवाज़ की नुमाइंदगी करते हैं, सदन में ऐसी आवाज़ का प्रतिनिधित्व बना रहे, इसको लेकर हमें सतर्क रहना चाहिए।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या राघव चड्ढा माफी मंगाने को तैयार हैं। राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अगस्त में राघव चड्ढा को निलंबित किया गया था। राघव की तरफ से दलील दी गई है कि उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला नहीं बनता है। अगर मामला बनता भी है, तो नियम 256 के तहत उन्हें सिर्फ उसी सत्र तक के लिए निलंबित किया जा सकता था। मामला अभी संसद की विशेषाधिकार कमेटी के पास है।