(प्रदीप कुमार )-उत्तराखंड का समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार हो गया है।कमेटी ने दिल्ली के उत्तराखंड सदन में एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि कमेटी ने यूसीसी कानून के लिए अपना ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।कमेटी की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि वे जल्द ही रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगी। इसके बाद यह सरकार को तय करना है कि वह इसको लेकर अपना क्या रुख अपनाती है…Uttarakhand ucc draft
कमेटी ने समान नागरिक संहिता पर अंतिम रिपोर्ट बनाने के लिए कम से कम 143 बैठकों का आयोजन किया।कमेटी ने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों के लोगों से बातचीत कर उनकी राय ली गई थी। कमेटी को 20 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं, तो उसने लगभग दो लाख लोगों से सीधे मिलकर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी है। कमेटी ने कहा है कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए उसने राज्य के हर जिले के हर समूह से बात की है और रिपोर्ट में सबकी बातों को समाहित किया गया है।
Read also –मुख्यमंत्री केसीआर ने भूमि स्वामित्व वितरण कार्यक्रम की शुरूआत की
कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले राज्य के सभी वर्गों, धर्मों, राजनीतिक दलों से बातचीत करने का दावा किया है। कमेटी को समान नागरिक संहिता पर 20 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं।वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यूसीसी कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद इसे लागू करने पर विचार किया जाएगा।
विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का वादा अपने संकल्प पत्र के जरिए किया था। इस वादे के मुताबिक सीएम पुष्कर सिंह धामी की सरकार बनने के बाद इसके लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया। दरअसल जबसे पीएम मोदी ने देश मे एक देश एक कानून यूसीसी को लेकर बात कही है तबसे ही ये मामला और सुर्खियों में आ गया है।चर्चाएं है कि उत्तराखंड के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
जानकारों की मानें तो उत्तराखंड में लागू होने के लिए तैयार किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट में जनसंख्या नियंत्रण को शामिल किया गया है।चर्चा है कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी सुविधाओं का अधिकार भी वापस लेने का फैसला हो सकता है।इस कानून का मतलब है कि देश के हर शहरी के लिए एक जैसा कानून लागू हो। इसके तहत एक नागरिक किसी भी धर्म-मज़हब से संबंध रखता हो, सभी के लिए एक ही कानून होगा। इसको धर्मनिर्पेक्ष कानून भी कहा जा सकता है। इसका मतलब विवाह,तलाक और जमीन जायदाद के मामलों में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा।